बिहार की राजनीति में उथल-पुथल: क्या बिना कांग्रेस के बनेगा ‘महागठबंधन’?

समग्र समाचार सेवा
पटना,27 मार्च।
बिहार की सियासी हलचल केवल राजद (RJD) और कांग्रेस के बीच खटास तक सीमित नहीं है। छोटे दल, जैसे CPI-ML और वीआईपी (VIP), भी अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं, खासकर दलित और मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ बनाने के लिए। ऐसे में बिना कांग्रेस के ‘महागठबंधन’ की संभावना तेजी से चर्चा में आ रही है। हालांकि, इस तरह के गठबंधन को क्षेत्रीय और वैचारिक दलों के हितों को संतुलित करने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

वहीं, दूसरी ओर भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) अभी भी बिहार में एक मजबूत दावेदार बना हुआ है। अपनी राष्ट्रीय पकड़ और संगठित स्थानीय संगठन के दम पर NDA राज्य की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभा रहा है। ऐसे में विपक्षी दलों के लिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि वे अपने मतभेदों को भुलाकर एक मजबूत रणनीति तैयार करें। लेकिन भीतरूनी कलह और बढ़ती दूरियों के कारण ऐसा होता दिख नहीं रहा है।

राजद-कांग्रेस गठबंधन की कमजोरी ने बिहार की राजनीति को और अस्थिर बना दिया है। कांग्रेस और राजद दोनों दलों के अंदरूनी विवाद और कन्हैया कुमार जैसे नए चेहरों के उभरने से राज्य का सियासी परिदृश्य और भी अनिश्चित हो गया है।

आने वाले कुछ महीने बिहार की राजनीति के लिए निर्णायक साबित होंगे। सवाल यह है कि क्या विपक्षी दल अपने मतभेद भुलाकर एकजुट होंगे, या फिर बिहार की राजनीति और ज्यादा बिखराव की ओर बढ़ेगी? इसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा।

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