महाराष्ट्र में दो शिवसेना, दो एनसीपी: चुनाव से पहले जानिए किसकी कौन सी पार्टी है

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 अक्टूबर। महाराष्ट्र की राजनीति इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर है। चुनाव से पहले शिवसेना और एनसीपी जैसी राज्य की प्रमुख पार्टियों में टूट और विभाजन ने एक नई तस्वीर खड़ी कर दी है, जिससे जनता के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन सी है। इन पार्टियों का विभाजन न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं बल्कि आम जनता के लिए भी भ्रम का कारण बना हुआ है। आइए समझें कि शिवसेना और एनसीपी के दो अलग-अलग धड़े कैसे बने और इनके पीछे कौन-कौन से प्रमुख नेता हैं।

1. शिवसेना – दो हिस्सों में बंटी

शिवसेना, महाराष्ट्र की राजनीति की एक मजबूत पहचान रही है। दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित यह पार्टी मराठी मानुष और हिंदुत्व के मुद्दों पर टिकी रही है। शिवसेना का विभाजन उस वक्त हुआ जब पार्टी के नेतृत्व को लेकर असहमति और राजनीतिक संघर्ष उभरे। अब शिवसेना दो धड़ों में बंट चुकी है:

  • उद्धव ठाकरे गुट: बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की बागडोर संभाली और महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। उद्धव ठाकरे का शिवसेना गुट अब “शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)” के नाम से जाना जाता है। वे बीजेपी से अलग होकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल रहे हैं। इस गुट के समर्थक वे लोग हैं जो बालासाहेब ठाकरे के असली विचारधारा के रूप में उद्धव ठाकरे को मानते हैं।
  • एकनाथ शिंदे गुट: एकनाथ शिंदे, जो पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में मंत्री थे, ने पार्टी में विद्रोह कर दिया और बीजेपी के समर्थन से नई सरकार बनाई। इस गुट को चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ का अधिकार दे दिया, जिससे यह गुट अब मुख्यधारा की शिवसेना मानी जा रही है। एकनाथ शिंदे का शिवसेना गुट बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सत्ता में है।

2. एनसीपी – दो हिस्सों में विभाजित

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख दल है, जिसका गठन शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर किया था। हालांकि, 2023 में एनसीपी में भी बंटवारा हो गया, जिससे दो एनसीपी अस्तित्व में आ गईं:

  • शरद पवार गुट: एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने पार्टी के पुराने सिद्धांतों और विचारधारा को बनाए रखने का दावा करते हुए अपने गुट को असली एनसीपी कहा है। शरद पवार, जो लंबे समय से महाराष्ट्र की राजनीति के एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं, एनसीपी का नेतृत्व कर रहे हैं और महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा बने हुए हैं। उनके इस गुट में पार्टी के कई सीनियर नेता और कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं।
  • अजीत पवार गुट: शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने एनसीपी के एक धड़े का नेतृत्व करते हुए बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन कर लिया और राज्य की मौजूदा सरकार का हिस्सा बन गए। अजीत पवार और उनके समर्थक इस बात पर जोर देते हैं कि उनके पास एनसीपी के अधिकतर विधायकों का समर्थन है, इसलिए उनकी एनसीपी असली एनसीपी है। इस विभाजन ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई परिभाषा जोड़ दी है और इसे बीजेपी के समर्थन से बीजेपी-एनसीपी गठबंधन की एक नई ताकत दी है।

3. वोटर के लिए असमंजस का समय

शिवसेना और एनसीपी के इन दो गुटों के चलते जनता के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। चुनावों के दौरान यह देखना होगा कि जनता किसे असली शिवसेना और असली एनसीपी के रूप में स्वीकार करती है। इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या ये पार्टियां अपने मतदाताओं को यह भरोसा दिला पाएंगी कि वे वास्तव में पार्टी के असली विचारधारा और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

4. चुनाव में संभावित असर

इन विभाजनों के कारण महाराष्ट्र में आगामी चुनावों में बहुत से समीकरण बदल सकते हैं। एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे का गुट और शरद पवार का गुट महाविकास अघाड़ी के अंतर्गत एकजुट होकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे, वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे का शिवसेना गुट और अजीत पवार की एनसीपी बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता बनाए रखने के लिए कोशिश करेंगे। ऐसे में इन दो धड़ों के बीच की राजनीतिक खींचतान और जनता का रुख महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेगा।

समाप्ति में, महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना और एनसीपी के दो गुटों का यह नया अध्याय एक नया राजनीतिक समीकरण बना चुका है। जनता के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि किस नेता और किस गुट का समर्थन करने से उनकी आवाज असल में सत्ता तक पहुंचेगी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.