समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 जुलाई:संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक नई नामांकन-आधारित गोल्डन वीजा योजना की शुरुआत की है, जो अब तक की परंपरागत निवेश-आधारित वीजा प्रक्रिया से बिल्कुल अलग है। इस नई पहल के तहत अब नर्स, शिक्षक, कंटेंट क्रिएटर, वैज्ञानिक, कॉर्पोरेट अधिकारी और यहां तक कि लक्ज़री याच मालिकों को भी यूएई का स्थायी गोल्डन वीजा मिल सकेगा—वो भी बिना किसी भारी निवेश के।
यूएई सरकार का यह कदम अपने टैलेंट पूल में विविधता लाने और कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है। खास बात यह है कि इस योजना से भारतीय नागरिकों को विशेष रूप से लाभ मिलने की उम्मीद है, जो यूएई में सबसे बड़ी प्रवासी आबादी में से एक हैं।
क्या है यह नामांकन मॉडल?
नई प्रणाली में, उम्मीदवारों को यूएई में स्थायी गोल्डन वीजा पाने के लिए AED 1,00,000 (लगभग ₹23.3 लाख) का नामांकन शुल्क देना होगा। इसके लिए किसी रियल एस्टेट या व्यवसाय में निवेश की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, चयन प्रक्रिया में कड़ी जांच शामिल है—जैसे कि एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जांच, आपराधिक रिकॉर्ड की जांच, और सोशल मीडिया प्रोफाइल का विश्लेषण।
इस प्रक्रिया की भारत और बांग्लादेश में स्क्रीनिंग और आवेदन प्रबंधन की जिम्मेदारी VFS Global के सहयोग से Rayad Group को सौंपी गई है। ये दोनों देश इस पायलट प्रोग्राम के लिए चुने गए हैं।
भारतीयों को क्या फायदा?
Rayad Group के प्रबंध निदेशक रैयद कमाल अयूब ने बताया कि, “भारतीयों के पास अब UAE में बिना निवेश किए स्थायी रूप से रहने, काम करने और व्यवसाय करने का सुनहरा मौका है।” उन्होंने बताया कि यह मॉडल ज्यादा लचीलापन और स्थायित्व प्रदान करता है, क्योंकि संपत्ति आधारित वीजा संपत्ति के बिकते ही रद्द हो जाता है।
आवेदक OneVASCO केंद्रों, Rayad के पंजीकृत कार्यालयों या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। शुरुआती स्वीकृति के लिए उन्हें दुबई की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी। एक बार स्वीकृति मिल जाने के बाद, वीजा धारक अपने परिवार को ला सकते हैं, घरेलू सहायक रख सकते हैं और पेशेवर सेवाओं या व्यवसाय में स्वतंत्र रूप से भाग ले सकते हैं।
पृष्ठभूमि और विस्तार
गोल्डन वीजा योजना की शुरुआत 2019 में हुई थी, जो शुरू में केवल उच्च निवेशकों के लिए थी। 2022 में इसके तहत रियल एस्टेट निवेश सीमा को AED 2 मिलियन कर दिया गया, जिससे अधिक लोग इसके योग्य हो सके। अब यह नामांकन आधारित मॉडल विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों के लिए रास्ता खोलता है—जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल मीडिया, खेल और समुद्री उद्योग।
यह पहल भारत-UAE के बीच 2022 में हुए CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement) का एक हिस्सा है। यह पायलट प्रोग्राम जल्द ही चीन और अन्य देशों में भी विस्तारित किया जाएगा।
क्या है अनुमान?
अधिकारियों के अनुसार, पहले तीन महीनों में 5,000 से अधिक भारतीयों द्वारा आवेदन किए जाने की संभावना है, जो इस नई योजना के प्रति जबरदस्त रुचि को दर्शाता है।
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