ओबीसी कोटे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बिल लाएगी उद्धव सरकार

समग्र समाचार सेवा

मुंबई, 4 मार्च। महाराष्ट्र में ओबीसी राजनीतिक आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है। इसे राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा है। इसे लेकर बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अब महाविकास अघाड़ी सरकार ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लेने जा रही है।

ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व से वंचित करना मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को स्वीकार्य नहीं

उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने शुक्रवार को विधान परिषद को बताया कि हमने ओबीसी आरक्षण के मामले में वह सब कुछ किया है जो हम कर सकते हैं। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कई चुनाव आने वाले हैं। लगभग 70 से 75 प्रतिशत मतदाताओं ने अभी तक अपने मत नहीं डाले हैं। ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व से वंचित करना मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को स्वीकार्य नहीं है। कल कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। आज फिर हम कैबिनेट ले रहे हैं। हम इसमें एक नया बिल लाने पर काम कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश से हमने इस कानून पर जानकारी मांगी

अजित पवार ने आगे कहा कि यह चुनाव आयोग को तय करना है कि चुनाव कब होगा। लेकिन सरकार के पास वार्ड बनाने और अन्य तैयारियां करने का अधिकार है…. मध्य प्रदेश ने अपने दम पर कुछ फैसले लिए हैं। हमने उनसे भी जानकारी मांगी है। हम एक बिल तैयार कर रहे हैं कि उन्हें कैसे फायदा हुआ और हम उस बिल को कैबिनेट में मंजूरी देंगे। उसके बाद हम सोमवार को इस बिल को सदन में पेश करेंगे।

स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण बहाल करने की मांग

दरअसल, SC ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की उस अंतरिम रिपोर्ट खारिज कर दिया था, जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने की सिफारिश की गई थी। अदालत ने राज्य सरकार और एसईसी को आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा।

अघाड़ी सरकार ने हास्यास्पद डेटा पेश किए: फडणवीस

इस बीच, भाजपा नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि महा विकास अघाड़ी सरकार ने ओबीसी समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण की मांग के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष हास्यास्पद डेटा प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को स्थानीय निकायों के लिए चुनाव नहीं कराना चाहिए, क्योंकि इससे राज्य में ओबीसी समुदाय को बड़ा नुकसान होगा।

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