उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क में कहा — मराठी का सम्मान नहीं छिनेगा; “हिंदी के खिलाफ नहीं, जबरदस्ती नहीं चलेगी”
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 3 अक्टूबर: मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित शिवसेना (UBT) की दशहरा रैली में नेता उद्धव ठाकरे ने मराठी भाषा और मराठी लोगों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाया। रैली में उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे अपनी मातृभाषा और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता पर किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं करेंगे।
ठाकरे ने भाषण में कहा, “जहाँ भी मेरी मातृभाषा का अपमान हुआ है, वहाँ मैं मराठी लोगों के बीच फूट नहीं आने दूँगा। हम हिंदी के विरोधी नहीं हैं, पर जबरदस्ती स्वीकार्य नहीं है। मराठी का सम्मान हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुंबई केवल व्यापारियों की जेब तक सीमित नहीं रहने देना उनके लिए अस्वीकार्य होगा।
ठाकरे ने भावुक अंदाज में कहा, “मुंबई मराठी लोगों ने अपने खून से जीती है। भाषा के आधार पर प्रदेश बने—गुजरात वालों को गुजरात मिला, वैसे ही मराठी भाषियों को महाराष्ट्र मिला। अगर हमारी मुंबई व्यापारियों की जेब में समा जाएगी तो हम उस जेब को फाड़कर ही मुंबई बचाएँगे।” उनके इन शब्दों ने रैली में मौजूद समर्थकों में जोश भर दिया।
कठोर चेतावनी देते हुए ठाकरे ने कहा, “मराठी पर कोई हाथ नहीं डाल सकता। अगर तुम लोगों में हिम्मत है तो मराठी पर हाथ डालकर दिखाओ—हाथ जगह पर रखा नहीं जाएगा।” यह बयान राज्य में भाषा-संस्कृति और राजनीतिक विमर्श की नई तामील का संकेत माना जा रहा है।
रैली में मौजूद राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी शिंदे-गुट और भाजपा पर तीखा हमला बोला। राउत ने कहा, “दिल्ली में रावण को जलाना है, मुंबई के रावण को डुबाना है। हमेशा रावण का दहन होता है, लेकिन आज हमें उसके प्रभाव का अंत करना है।” राउत के आक्रामक स्वर ने रैली को और अधिक सशक्त और प्रभावी बना दिया।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार उद्धव का यह भाषण आगामी विधानसभा समेत स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य पर असर डाल सकता है। भाषण में मराठी अस्मिता, संस्कृति की रक्षा और मुंबई की सार्वजनिक पहचान को लेकर उठाए गए मुद्दे उनकी निर्णायक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा दिखते हैं।
रैली के दौरान भारी संख्या में कार्यकर्ता व समर्थक उपस्थित थे, जिन्होंने ठाकरे के हर बयान पर तालियों और नारेबाजी से समर्थन जताया। मामले से जुड़े राजनीतिक गलियारों में इस वक्त भाषा-आधारित राजनीति, मुंबई की शहरी पहचान और आगामी चुनावी रणनीतियों पर चर्चा तेज है।
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