उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे परियोजना पर कांग्रेस का निशाना: “नरेंद्र मोदी शासन में निरंतरता को नहीं मानते, लेकिन उससे बच भी नहीं सकते”
समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली/जम्मू, 6 जून: कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन (यूएसबीआरएल) जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शासन में निरंतरता का प्रतीक हैं, जिसे प्रधानमंत्री स्वीकार करने से बचते हैं, लेकिन इससे बच निकलना अब संभव नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं, जहां वह यूएसबीआरएल परियोजना से जुड़ी कई प्रमुख पहलुओं का उद्घाटन कर रहे हैं। हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में फैली 272 किलोमीटर लंबी इस महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना पर अब तक ₹43,780 करोड़ की लागत आ चुकी है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर ‘आत्म-प्रशंसा की चिरकालिक चाहत’ का आरोप लगाते हुए कहा कि शासन में निरंतरता अक्सर प्रधानमंत्री के बयानों से नदारद रहती है, खासकर जब बात बड़े और जटिल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की होती है।
इतिहास की याद दिलाई
रमेश ने एक बयान में कहा कि यूएसबीआरएल परियोजना को पहली बार मार्च 1995 में मंजूरी मिली थी, जब पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। इसके बाद मार्च 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में इसे ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित किया गया।
उन्होंने बताया कि:
- 13 अप्रैल 2005 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जम्मू-उधमपुर के बीच 53 किमी रेल लाइन का उद्घाटन किया।
- 11 अक्टूबर 2008 को अनंतनाग से मझोम के बीच 66 किमी का रेल संपर्क शुरू किया गया।
- 14 फरवरी 2009 को मझोम-बारामूला (31 किमी) खंड का उद्घाटन हुआ।
- 29 अक्टूबर 2009 को अनंतनाग-काजीगुंड (18 किमी) लाइन चालू हुई।
- 26 जून 2013 को काजीगुंड से बनिहाल (11 किमी) तक रेल संपर्क शुरू हुआ।
इस तरह, रमेश के अनुसार, 2013 तक बारामूला से काजीगुंड तक कुल 135 किलोमीटर रेलवे लाइन शुरू हो चुकी थी।
मोदी सरकार के तहत कार्यों की समीक्षा
रमेश ने कहा कि उधमपुर और कटरा के बीच 25 किलोमीटर का खंड 2014 में उद्घाटन के लिए तैयार था, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण उद्घाटन टल गया। इसे प्रधानमंत्री मोदी ने 4 जुलाई 2014 को—पदभार संभालने के 39 दिन बाद—राष्ट्र को समर्पित किया।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 के बाद से कटरा-बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर के खंड पर काम पूरा हुआ है, लेकिन इसके लिए अनुबंध पहले ही दिए जा चुके थे। उदाहरणस्वरूप, चिनाब पुल के लिए ठेके 2005 में कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन, एफकॉन्स, वीएसके इंडिया और दक्षिण कोरियाई कंपनी अल्ट्रा कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग को दे दिए गए थे।
कर्मचारियों को दी बधाई, प्रधानमंत्री पर कटाक्ष
कांग्रेस नेता ने इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को बधाई दी और तीन दशकों से इस परियोजना पर काम कर रहे भारतीय रेलवे, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कंपनियों के कर्मचारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह परियोजना “सबसे कठिन परिस्थितियों के बावजूद सामूहिक संकल्प और सफलता” का प्रतीक है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “यूएसबीआरएल ब्रह्मोस की तरह शासन में निरंतरता का शक्तिशाली उदाहरण है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी कभी स्वीकार नहीं करते, लेकिन इससे भाग भी नहीं सकते।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री मोदी जम्मू-कश्मीर में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण कर रहे हैं। यूएसबीआरएल के पूरा होने से घाटी के लिए कनेक्टिविटी और रणनीतिक महत्त्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
यूएसबीआरएल परियोजना पर कांग्रेस का यह रुख एक बार फिर यह दर्शाता है कि बुनियादी ढांचे की उपलब्धियों को लेकर राजनीतिक श्रेय किसे मिलना चाहिए, इस पर सियासी खींचतान जारी है। जहां मोदी सरकार इसे अपने ‘विकास मॉडल’ का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस पार्टी इसके लंबे और बहुपक्षीय इतिहास को याद दिलाकर श्रेय का संतुलन बनाए रखने की कोशिश में जुटी है।
Comments are closed.