मुश्किल में पड़े उदयनिधि स्टालिन, सनातन धर्म मामले में 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और 118 रिटायर्ड सैन्य अफसरों ने की कार्रवाई करने की मांग
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6सितंबर। सनातन धर्म मामले में विवाद कम होने का नाम नही ले रहा है। हर तरफ उदयनिधि स्टालिन की निंदा हो रही है। उधर इस मामलें में 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और 118 रिटायर्ड सैन्य अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर उदयनिधि पर कार्रवाई करने की मांग है।
262 शख्सियतों ने कहा है कि सनातन धर्म को बीमारी बताने वाले उदयनिधि स्टालिन पर तमिलनाडु सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखने की पहल दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा और शिपिंग सेक्रेटरी गोपाल कृष्ण ने की थी। इन्होंने हेटस्पीच रोकने और शांति-व्यवस्था संभालने के लिए विचार करने की मांग भी की है। पत्र में लिखा गया कि उदयनिधि स्टालिन ने भारत के एक बड़े हिस्से के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण दिया है।
पत्र में लिखा है कि संविधान में भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए यह बयान सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ है। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने स्टालिन के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया बल्कि उन्हें बचाने की कोशिश की। यह कानून का उल्लंघन है।
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नफरत फैलाने वाले भाषण या बयान पर तुरंत एक्शन लेने का ऑर्डर दिया था। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हवाला दिया और लिखा कि तमिलनाडु सरकार ने एक्शन लेने में देरी की। यह सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।
सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखने वालों में तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के श्रीधर राव, पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी और राज्यसभा के पूर्व महासचिव आईएएस योगेंद्र नारायण, भारत सरकार के पूर्व सेक्रेटरी आईएएस समीरेंद्र चटर्जी और आईएएस धनेंद्र कुमार, पूर्व रॉ चीफ आईपीएस संजीव त्रिपाठी भी शामिल हैं।
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