समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी, 29 जुलाई: असम में स्वदेशी अधिकारों और सामाजिक-भाषाई पहचान को लेकर भाजपा ने एक चेतावनी जारी की है। पार्टी के मीडिया संयोजक रूपम गोस्वामी के मुताबिक, पिछले दशकों में ‘अनियंत्रित प्रवासन’ और पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) से आए प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने राज्य के जनसंख्या ताने-बाने को ही बदल डाला है।
गोस्वामी ने बताया कि धुबरी, बारपेटा, बोंगाईगांव जैसे जिलों में हिंदू आबादी में गिरावट आई है, जबकि मुस्लिम आबादी चिंताजनक दर से बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर, धुबरी शिविर में 1991‑2011 के बीच मुसलमान आबादी में 6‑लाख से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि हिंदू आबादी में सिर्फ 5,563 का इजाफा हुआ। यह न सिर्फ धार्मिक, बल्कि भाषाई संतुलन को भी प्रभावित करता जा रहा है। ताज़ा जनगणना आंकड़ों के अनुसार बारपेटा में मुस्लिम आबादी अब कुल जनसंख्या का 70.74%, दारंग में 64.34% और अन्य जिलों में भी मुस्लिम समाज की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
भाजपा ने इस परिवर्तन को “आक्रामक अतिक्रमण” बताया है जो स्थानीय समुदायों की पहचान, भाषा और जीवनशैली को खंडित कर रहा है। गोस्वामी ने ये भी कहा कि असम सरकार ने व्यापक अभियान शुरू किया है जिसमें अब तक 1.2 लाख बिघा भूमि अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराई गई है।
यह आंदोलन केवल कागज़ी कार्रवाई नहीं है, बल्कि असम की आत्मा को बचाने का प्रयास है—भाजपा का संदेश है कि स्वदेशी समुदाय उसके साथ दृढ़ता से खड़े हैं।
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