प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कोयला और खनिज क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किया है- जी. किशन रेड्डी

कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने खनिज क्षेत्र में अवसरों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9अगस्त। कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने गुरूवार को भारतीय खनन, भूवैज्ञानिक, धातुकर्म संस्थान द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया, जिसमें खान एवं खनिज क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया गया। इस संगोष्ठी में खान मंत्रालय के सचिव वी.एल. कांता राव, कोयला और खान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और कोयला एवं खान क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।

उद्योग के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ रचनात्मक चर्चा
जी. किशन रेड्डी ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ रचनात्मक चर्चा की, जहां उद्योग प्रतिनिधियों ने विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की और अपने बहुमूल्य सुझाव एवं सिफारिशें प्रस्तुत कीं। मंत्री महोदय ने आश्वासन दिया कि मंत्रालय इन सुझावों की गहन समीक्षा करेगा और शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और निरंतर फीडबैक के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में खनिज क्षेत्र में सुधार
जी. किशन रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के विशाल प्राकृतिक संसाधन, विकसित भारत-2047 की दिशा में देश की विकास यात्रा और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कोयला और खनिज क्षेत्र में व्यापक सुधार किए हैं, जिससे यह क्षेत्र अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बन गया है। कोयला और खनिज ब्लॉकों के लिए वाणिज्यिक नीलामी व्यवस्था की शुरुआत और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है।

महत्वपूर्ण खनिज और राष्ट्रीय मिशन
मंत्री जी ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिज आधुनिक अर्थव्यवस्था के संचालक के रूप में उभरे हैं, और भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के शुभारंभ के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि देश इस वैश्विक अवसर का पूरा लाभ उठाए। उन्होंने निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर भी बल दिया और उद्योग जगत के नेताओं से इस उभरती हुई विकास गाथा का हिस्सा बनने का आह्वान किया।

व्यापार में सुगमता और नई पहल
रेड्डी ने व्यापार में सुगमता बढ़ाने के लिए किए गए उपायों का विवरण दिया, जैसे अन्वेषण लाइसेंस और समग्र लाइसेंस धारकों के लिए 50% अन्वेषण व्यय की प्रतिपूर्ति। उन्होंने कहा कि ये पहल अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही हैं और खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार को आगे बढ़ाने में सहायक होंगी।

घरेलू कोयला उत्पादन और “मिशन कोकिंग कोल”
कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के उद्देश्य से रेड्डी ने 2030 तक 140 मिलियन टन कोकिंग कोल उत्पादन के लक्ष्य वाले “मिशन कोकिंग कोल” की पहल की जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 और उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सतत खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की। कोल इंडिया वर्तमान वाशरियों में सुधार और नई वाशरियों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे आयात बोझ को कम किया जा सके।

स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी पर जोर
सतत खनन उद्देश्य के अनुरूप रेड्डी ने भूमिगत खनन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य 2029-30 तक 100 मिलियन टन हासिल करना है। उन्होंने स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए उपायों की भी जानकारी दी, जैसे कोयला गैसीकरण, कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैसों का निष्कर्षण, कोयले से हाइड्रोजन प्रक्रियाएं और कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस)।

अपने संबोधन के अंत में जी. किशन रेड्डी ने उद्योग प्रतिनिधियों से खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार को आगे बढ़ाने में सरकार के साथ सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आज का सम्मेलन सतत खनन क्षेत्र के लिए चुनौतियों और समाधानों पर गहन चर्चा को बढ़ावा देगा। निजी क्षेत्र का नवाचार और जोखिम उठाना निकट भविष्य में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण होगा।”

इस संगोष्ठी ने भारत के खनन और खनिज क्षेत्र के भविष्य पर सार्थक चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया, जिससे औद्योगिक और सतत विकास दोनों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला।

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