समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जुलाई: संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में शुरू किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ दिल्ली में जोरदार विरोध जताया। राहुल गांधी, कांग्रेस के सांसद और विपक्ष के नेता, इस राजनीतिक जंग में सीनेटर बनी नज़र आईं, जिनकी अगुआई में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के कई दलों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया।
संसद के मुख्य प्रवेश द्वार ‘मकर द्वार’ के पास आयोजित इस विरोध प्रदर्शन को ज्यादा ताक़त तब मिली जब कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, और अन्य विपक्षी सांसद मोर्चे पर उतरे। हाथों में विशाल बैनर लिए विरोधियों ने ज़ोरदार नारों के साथ मतदाताओं की सूची संशोधन प्रक्रिया को लोकतंत्र पर साया डालने वाला बताते हुए विशाल जनदबाव खड़ा किया—ज्यादा दूर नहीं इस नारे के : “SIR – Attack on Democracy.”
#WATCH | Congress MP & LoP Rahul Gandhi joins Opposition's protest in Parliament against Special Intensive Revision (SIR) of voter list in Bihar pic.twitter.com/uXu0MQC7pL
— ANI (@ANI) July 28, 2025
मल्लिकार्जुन खड़गे ने जमीनी मुद्दों को उठाते हुए कहा कि SIR प्रक्रिया संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। उन्होंने नारे लगाए—“संविधान को बचाओ” और “लोकतंत्र की हत्या बंद करो”—जो इस प्रदर्शन की तीव्रता और गंभीरता को दर्शाते थे।
प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य इस विधेयक के खिलाफ संसद में बहस की मांग करना था। विपक्षी दलों के सांसदों ने कहा कि किसी भी संशोधन प्रक्रिया पर बिना व्यापक चर्चाओं के निर्णय लेना न्यायोचित नहीं है। मानसून सत्र से पहले संसद परिसर में हुई यह बैठक विपक्षी दलों की रणनीतिक तैयारी थी, जिसमें आगामी चर्चा और विरोध की रूपरेखा तैयार की गई।
सोशल मीडिया पर विपक्षी सांसदों की वीडियो और फोटो प्रचुर मात्रा में साझा की गईं, जिसमें लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता साफ झलक रही थी। हैशटैग #StopSIR और #DefendDemocracy ट्विटर व फेसबुक पर तेजी से वायरल हुए। विपक्ष ने जनता को यह संदेश देने की कोशिश की कि मतदाता सूची सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव है।
विपक्ष का आरोप है कि SIR प्रक्रिया के तहत नागरिकों को बिना परवाह के सूची से हटाया जा सकता है, जिससे मतदान अधिकारों की अवैध छंटनी हो सकती है। साथ ही, आरोप लगाया गया कि सरकार इस प्रक्रिया को बिना पारदर्शिता के लागू कर रही है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के मतदाताओं की आवाज़ दब सकती है।
संसद परिसर में प्रदर्शन ख़त्म होने के बाद विपक्ष ने स्पष्टीकरण दिया कि यह प्रदर्शन राज्यसभा या लोकसभा की कोई प्रक्रिया बाधित करने का प्रयास नहीं है। यह अधिक विचार-विमर्श और न्यायोचित प्रक्रिया की मांग है।
यह विरोध प्रदर्शन न केवल मौजूदा SIR प्रक्रिया का विरोध रहा, बल्कि लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के अभियान का रूप भी ग्रहण करता प्रतीत होता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी जन-गणना या सूची संशोधन निष्पक्ष प्रक्रिया के बिना नहीं होने दिए जाएंगे। यह संसद की जिम्मेदारी है कि वह लोकतंत्र की आवाज़ बने और प्रत्येक नागरिक को समान मतदान का अधिकार सुनिश्चित करे।
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