एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डाल सकती है: उपराष्ट्रपति धनखड़
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,22 फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज आगाह किया कि समुद्र में एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने कहा, “अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह क्षेत्रीय विवादों से भी आगे जा सकता है।”
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विशाखापत्तनम में आज भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित भारतीय समुद्री सेमिनार (मिलन 2024) को संबोधित करते हुए, इस बात पर प्रकाश डाला कि नियम आधारित व्यवस्था के लिए चुनौती इस समय चरम पर है और इसके समाधान को अपरिहार्य आवश्यकता बताया।
उपराष्ट्रपति महोदय ने आम लोगों के जीवन पर ऐसी आपूर्ति श्रृंखला के व्यापक प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा, “हाल के वर्षों में, हमने समुद्री क्षेत्र में विकट सुरक्षा चुनौतियाँ देखी हैं और इसने एक नया, खतरनाक आयाम हासिल कर लिया है, जो शांति को खतरे में डाल सकता है, आपूर्ति श्रृंखलाओं को अस्थिर करने की तो बात ही छोड़ दें।”
उपराष्ट्रपति महोदय ने व्यापार और वाणिज्य के लिए समुद्र पर वैश्विक निर्भरता पर बल देते हुए समुद्री व्यवस्था के पालन की आवश्यकता को रेखांकित किया और इसे क्षेत्र की शांति और सद्भाव के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखलाओं के रखरखाव और आर्थिक विकास के लिए भी आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा, गहरे क्षेत्रीय तनावों से बचना और समुद्री अर्थव्यवस्था का शोषण वैश्विक चिंताएं हैं जिन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत सीमाओं का सम्मान करने और नियम आधारित समुद्री व्यवस्था को प्रोत्साहन देने के महत्व को पहचानता है।उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “हम मानते हैं कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना ईमानदारी के पालन, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग के लिए अनिवार्य, आवश्यक और एकमात्र तरीका है। उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि वर्तमान समय में यह पहलू गंभीर रूप से तनावपूर्ण और समझौतापूर्ण है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने मिलन 2024 का विषय – “महासागरों में भागीदार: सहयोग, तालमेल, विकास” को बहुत उपयुक्त और प्रासंगिक बताते हुए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रों को एक साथ आने, अनुभव साझा करने और सहयोगी रणनीति विकसित करने और हमारे महासागरों की स्थिरता की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने महासागरों को हमें आपस में जोड़ने का मार्ग बताते हुए कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही महासागरों ने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने महान भारतीय महाकाव्य रामायण, जो दक्षिण पूर्व एशियाई संस्कृति का आंतरिक हिस्सा बना हुआ है, का उल्लेख करते हुए रेखांकित किया कि हमारा साझा अतीत आज भी राजनयिक संवाद स्थापित करने और आगे बढ़ाने में बहुत महत्व रखता है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारतीय नौसेना की व्यावसायिकता और समुद्री उत्कृष्टता की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारी नौसेना नौवहन की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने, क्षेत्रीय स्थिरता को प्रोत्साहन देने और समुद्री क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का जवाब देने के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि भारत की समुद्री ताकत एक विकसित राष्ट्र के रूप में वर्ष 2047 की हमारी मैराथन दौड़ के लिए महत्वपूर्ण होगी।
नौसैनिक अभ्यास, मिलन 2024 की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी में कई देशों के प्रतिनिधियों और युद्धपोतों ने भाग लिया।
We believe that adherence to international law, including the United Nations Convention on the Law of the Sea (UNCLOS), is essential for the peaceful coexistence and sustainable use of maritime resources.
Unilateral actions and disregard for international law can have… pic.twitter.com/SNcQMkCmQn
— Vice President of India (@VPIndia) February 22, 2024
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