समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29जून। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रालयों में अपने कार्यकाल के समापन पर सहायक सचिवों (आईएएस 2022 बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं) के साथ बातचीत की।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2015 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस पहल की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत नए अधिकारी प्रशिक्षुओं को जिला प्रशिक्षण के बाद विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में सहायक सचिव के रूप में जोड़ा जाता था ताकि उन्हें मंत्रालयों के कामकाज का समग्र अनुभव दिया जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह पहल उन्हें नीति निर्माण के शीर्ष स्तर पर लोगों से बातचीत करने और सीखने का अवसर भी देती है, इसके लिए ऐसे मार्गदर्शकों की पहचान की जाती है जो उन्हें आने वाले 30 वर्षों की सेवा के लिए मार्गदर्शन करेंगे।”
इस मॉड्यूल के लाभों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान कैसे अधिकारी जो सहायक सचिव थे और अब एक जिले में डीएम हैं, वे केंद्र से संवाद कर सकते हैं और आत्मविश्वास के साथ दिन-प्रतिदिन की प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
संवाद सत्र के दौरान कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री ने युवा प्रतिभाशाली अधिकारियों की बात सुनी और उन्हें अपने प्रशिक्षण मॉड्यूल में वे परिवर्तन सुझाने के लिए प्रेरित किया, जो वे देखना चाहते हैं। उन्होंने यथासंभव अधिक से अधिक प्रयास करने पर सकारात्मक प्रतिक्रिया भी दी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि जब भारत अपनी आजादी की शताब्दी मनाएगा, तब आईएएस अधिकारी भविष्य के लिए तैयार होंगे। आप सभी महत्वपूर्ण सार्वजनिक पदों पर होंगे और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारत के लोगों के प्रति ईमानदारी, जवाबदेही, सहानुभूति और करुणा बनाए रखें तथा प्रशासन के मूल में नागरिक केंद्रितता और सुशासन रखें।
युवा प्रतिभाओं पर अपना विश्वास और खुशी व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लगभग 28 प्रतिशत महिला अधिकारियों के सिविल सेवा में शामिल होने से एक सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है, जो पहले के समय में 10 प्रतिशत से भी कम था। उन्होंने कहा कि यहां तक कि भारत के लगभग सभी राज्यों के लोग सिविल सेवा का हिस्सा हैं, जिससे विविधता बढ़ रही है, जो एक स्वस्थ संकेत है।
युवा अधिकारियों को प्रेरित और मार्गदर्शन करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उन्हें मिशन कर्मयोगी और इस मिशन के पीछे सरकार की मंशा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आप अपने कौशल को उन्नत करें, भविष्य के लिए तैयार रहें, बदलती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाएं और आई-गॉट प्लेटफॉर्म के माध्यम से कर्मयोगी मिशन ऐसा करने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान करेगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चूंकि कर्तव्यों की प्रकृति बदल रही है और अधिक जटिल होती जा रही है, इसलिए हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक क्षेत्र के साथ-साथ विज्ञान और ऊर्जा क्षेत्रों में भी सरकार की प्रमुख योजनाओं को लागू करने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता है। इस प्रकार, ऐसी विविध प्रतिभाओं का एक पूल होना जो प्रौद्योगिकी संचालित हो, देश के लिए एक वरदान होगा। उन्होंने साझा किया कि हमने जवाबदेही, पारदर्शिता, संचार कौशल और सार्वजनिक व्यवहार कौशल के कुछ मूल्यों को इनहाउस के साथ-साथ विशेष मॉड्यूल के माध्यम से आपके प्रशिक्षण का हिस्सा बनाने की कोशिश की है।
अपने भाषण के समापन पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जोर देकर कहा कि सिविल सेवकों के लिए, ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण गुण है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें भविष्य के लिए सूचकांक विकसित करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए काम करते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “2047 के विजन के लिए खुद को तैयार करें और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा दें।”
2022 बैच के आईएएस अधिकारी प्रशिक्षुओं ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ हुई शानदार बातचीत के बाद आभार व्यक्त किया और खुद को प्रेरित महसूस किया।
बातचीत के दौरान एलबीएसएनएए के निदेशक श्री श्रीराम तरनीकांति, डीओपीटी की संयुक्त सचिव (प्रशिक्षण) नीला मोहनन और डीओपीटी के संयुक्त सचिव (प्रशासन) एस.डी. शर्मा भी मौजूद थे।
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