समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21नवंबर। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को व्यापार मेले में जन औषधि स्टॉल का दौरा किया और स्टॉल के कामकाज का निरीक्षण किया। डॉ. मांडविया ने इस बात की सराहना की कि यह स्टॉल पूरे देश में सुलभ और किफायती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में भारत सरकार की परियोजना के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है।
42वां भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 14 से 27 नवंबर तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) द्वारा हॉल नंबर 5 (स्टॉल नंबर 8-बी) में एक प्रदर्शन स्टॉल लगाया गया है, जहां आम जनता को इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस स्टॉल के माध्यम से जनता को जन औषधि की सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली दवाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए समर्पित आउटलेट खोले गए हैं जिन्हें जन यू औषधि केंद्र के नाम से जाना जाता है। 31 अक्टूबर 2023 तक, देश भर में 9998 जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं। पीएमबीजेपी उत्पादों में 1965 दवाएं और 293 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं जो खुदरा दुकानों पर ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत सस्ते में बेचे जाते हैं। पीएमबीजेपी ने गुणवत्ता वाली 1965 से अधिक दवाओं की कीमतों में भारी कमी की है और इन दवाओं को बड़ी आबादी, विशेष रूप से गरीबों और असाध्य बीमारियों वाले रोगियों के उपलब्ध कराया गया है।
पिछले 9 वर्षों में, केंद्रों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है 2014 में जो केवल 80 थे, अब 9998 से अधिक केंद्र हैं, देश के लगभग सभी जिलों में केंद्र हो गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में पीएमबीआई ने 1236 करोड़ रुपये की जन औषधि दवाएं बेची हैं, जिससे नागरिकों को लगभग 7416 करोड़ रुपये की बचत हुई। पिछले 9 वर्षों में, केंद्रों की संख्या लगभग 100 गुना बढ़ गई है जबकि बिक्री 170 गुना से अधिक बढ़ गई है। कुल मिलाकर, पिछले 9 वर्षों में इस नेक योजना से नागरिकों को 23,000 करोड़ रुपये का लाभ संभव हुआ है।
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