केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम का बड़ा बयान: जनजातीय विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, पीएम-जनमन योजना से होगा समग्र बदलाव
समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली, 27 मई: केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार देश के जनजातीय समुदायों के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने राजधानी दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि उनका मंत्रालय जनजातीय इलाकों में विकास की खाई को पाटने के लिए बहु-आयामी और योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है।
इस क्रम में केंद्र सरकार ने 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस विशेष वर्ष के तहत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिनका आयोजन देशभर के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI) के जरिए किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में आदिवासी नेताओं और समुदायों के योगदान को सम्मानित करना है।
पीएम-जनमन योजना: समग्र बदलाव की दिशा में बड़ा कदम
ओराम ने विशेष रूप से केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना पीएम-जनमन का ज़िक्र किया, जिसे 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में रहने वाले 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के समग्र विकास के लिए लॉन्च किया गया है। इस योजना का कुल बजट ₹24,104 करोड़ है। इसका उद्देश्य इन समुदायों को आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सड़क, बिजली और आजीविका जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 4.35 लाख घरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1.04 लाख का निर्माण पूरा हो चुका है। 1.42 लाख घरों के विद्युतीकरण को स्वीकृति मिली है और अब तक 1.05 लाख घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
सामुदायिक विकास पर विशेष ध्यान
सरकार ने 511 वन धन विकास केंद्र स्थापित किए हैं, जिनसे 44,050 PVTG सदस्य जुड़े हुए हैं। इसके अलावा 349 व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए लगभग 25,000 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। 687 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स अब 8200 से अधिक गांवों में सक्रिय हैं।
5718 किलोमीटर सड़क निर्माण, 7202 गांवों में पाइप जल आपूर्ति, और 2139 आंगनवाड़ी केंद्रों की मंजूरी इस बात का संकेत है कि सरकार बुनियादी ढांचे को जमीनी स्तर पर मज़बूत करने के लिए कार्य कर रही है।
संतृप्ति मॉडल और राज्यों की उपलब्धियां
ओराम ने बताया कि 596 गांवों को विभिन्न सेवाओं के जरिए पूरी तरह संतृप्त किया गया है। कई राज्यों में विशेष क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है:
- बिहार, केरल और मणिपुर में आंगनवाड़ी सेवाएं पूरी तरह संतृप्त हो चुकी हैं।
- तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में विद्युतीकरण लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
- राजस्थान और उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं संतृप्त हैं।
- गुजरात और तेलंगाना में सभी गांवों तक पाइप जल पहुंचाया जा चुका है।
जागरूकता और लाभ पहुंचाने के लिए चलाए गए अभियान
जनजातीय समुदायों को योजनाओं और दस्तावेज़ों की जानकारी देने के लिए 18,000 से अधिक जागरूकता और लाभ संतृप्ति अभियान चलाए गए हैं। इनमें 28 लाख से अधिक PVTG व्यक्तियों को आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन धन खाता, पीएम-किसान, आयुष्मान भारत और मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ दिलाया गया है।
राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने भी इस मौके पर उपस्थित रहकर योजनाओं की सफलता और क्रियान्वयन पर संतोष जताया।
समावेशी विकास की दिशा में सरकार का ठोस कदम
केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम का यह बयान स्पष्ट करता है कि केंद्र सरकार PVTGs जैसे सबसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए ठोस और सतत विकास रणनीति पर काम कर रही है। पीएम-जनमन योजना और जनजातीय गौरव वर्ष जैसी पहल न केवल विकासात्मक दृष्टिकोण दर्शाती हैं, बल्कि यह आदिवासी इतिहास और सांस्कृतिक पहचान को मुख्यधारा में लाने की दिशा में भी एक सकारात्मक प्रयास है।
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