केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रुपाला कल अंडमान में “सागर परिक्रमा” के छठे चरण का करेंगे शुभारंभ

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 मई। मत्स्य क्षेत्र प्राथमिक तौर पर 2.8, करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली पालकों को आजीविका, रोजगार और उद्यमिता प्रदान करता है, ये संख्या मूल्य-श्रृंखला के साथ लाखों में हो जाती है। यह क्षेत्र पिछले वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होकर देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। 22 प्रतिशत मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के साथ पिछले 75 वर्षों में इस क्षेत्र में बहुत परिवर्तन आया है। 1950-51 के मात्र 7.5, लाख टन मछली उत्पादन से लेकर 2021-22 में 162.48,लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन तक, 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 10.34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मछली उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। आज भारत विश्व मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। भारत ‘जलीय कृषि’ (ऐक्वाकल्चर) उत्पादन में दूसरे स्थान पर और दुनिया में शीर्ष ‘कल्चर्ड झींगा’ उत्पादक देशों में से एक है।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने मछुआरों, मछली किसानों और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलने और मछुआरों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए, देश में मातस्यकी क्षेत्र को आगे बढ़ाने, उनकी समस्याओं और सुझावों के बारे में सीधे उनसे संवाद करने के लिये, पूर्व निर्धारित समुद्री-मार्ग के माध्यम से पूरे देश के तटीय क्षेत्रों का दौरा करने के लिए सागर परिक्रमा की यह अनूठी पहल की शुरुआत की है। सागर परिक्रमा के पहले चरण की शुरुआत 5 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात, से हुई और अब तक सागर परिक्रमा के पांच चरणों में पश्चिमी तट पर गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों को यात्रा पूरी की गई है। सागर परिक्रमा के छठे चरण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रों को कवर किया जाएगा जिसमें कौड़िया-घाट, पोर्ट ब्लेयर, पानी घाट मछली लैंडिंग केंद्र, वी के पुर फिश लेंडिंग सेंटर, हुतबे, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप आदि शामिल हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में, इसके लंबे तटों के कारण जो 1,962 किलोमीटर है और 35,000 वर्ग किलोमीटर के महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्र के कारण मत्स्य पालन के विकास की विशाल संभावना है। इस द्वीप के चारों ओर विशिष्ट आर्थिक ज़ोन लगभग 6,00,000 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें मत्स्य पालन में असीम सम्भावनाएं हैं। संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बिना नुकसान पहुँचाए, और अप्रयुक्त मत्स्य संसाधनों का दोहन करके, मछली उत्पादन में वृद्धि और मछुआरों के कल्याण तथा उत्थान के लिए मत्स्य पालन विभाग, अंडमान और निकोबार प्रशासन, विभिन्न योजनाओं का एक कार्यक्रम का लागू कर रहा है।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला और अंडमान और निकोबार संघ क्षेत्र प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, मत्स्य विभाग, भारत सरकार, राष्ट्रीय मतस्य विकास बोर्ड, आरजीसीए और एमपीईडीए, भारतीय तटरक्षक दल, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण दल और मछुआरों के प्रतिनिधि सागर परिक्रमा कार्यक्रम में 29 और 30 मई 2023 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भाग लेंगे।

आयोजन के दौरान ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ (पीएमएसएसवाई) किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रमाणपत्र प्रगतिशील मछुआरों, मत्स्य-पालकों, मछली किसानों और युवा मत्स्य उद्यमियों को प्रदान किए जाएंगे। पीएमएसवाई योजना, यू-टी योजनाओं, ई-श्रम, एफआईडीएफ, केसीसी पर साहित्य, योजनाओं के व्यापक प्रचार के लिए मछुआरों के बीच प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वीडियो, डिजिटल अभियान, योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए चलाए जाएंगे।

मछली उत्पादकों से सीधा संवाद कर, तटीय क्षेत्रों की मछुआरों से जुड़ी समस्याओं को जानने के लिए सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो, सरकार के दूर तक पहुंच बनाने की रणनीति को दर्शाता है। सागर परिक्रमा मछुआरों के विकास में व्यापक रणनीतिक बदलाव लेकर आएगा। इसलिये जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के साथ-साथ मछुआरों और मत्स्य पालकों के सर्वांगीण विकास और आजीविका पर इस सागर परिक्रमा के दूरगामी प्रभाव आने वाले चरणों में देखने को मिलेंगे।

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