समग्र समाचार सेवा
न्यूयॉर्क, 23 जुलाई: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की उच्च स्तरीय खुली बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि एंबेसडर पार्वथनेनी हरिश ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की भावना का उल्लंघन करने का दोषी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे देशों को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र और पाकिस्तान की भूमिका
पार्वथनेनी हरिश ने अपने संबोधन में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी ठिकानों पर सटीक और सीमित सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया था। यह कार्रवाई पूरी तरह से नियंत्रित और गैर-उत्तेजक थी, जिसे पाकिस्तान के अनुरोध पर समाप्त किया गया।
ट्रंप का दावा और संघर्ष विराम की पृष्ठभूमि
उन्होंने 7 मई से शुरू हुए भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि में बताया कि यह टकराव तीन दिन में समाप्त हुआ, जब भारत ने पाकिस्तान के अनुरोध पर संघर्ष विराम स्वीकार किया। इस घटनाक्रम के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि उन्होंने दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच शांति स्थापित करने में भूमिका निभाई।
भारत-पाकिस्तान की स्थिति में अंतर
हरिश ने पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा दिए गए बयान का जवाब देते हुए कहा कि उपमहाद्वीप में दो विरोधाभासी मॉडलों की तस्वीर उभरती है। एक ओर भारत है, जो एक उभरती वैश्विक शक्ति है—मजबूत लोकतंत्र, स्थिर अर्थव्यवस्था और समावेशी समाज के रूप में। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान है, जो आर्थिक अव्यवस्था, धार्मिक कट्टरता और आतंकवादी नेटवर्कों से घिरा हुआ है।
आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति
भारतीय राजदूत ने अंतरराष्ट्रीय मंच से आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की वकालत की। उन्होंने दोहराया कि जब तक आतंकवाद का मुकाबला एकमत से नहीं किया जाएगा, तब तक क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति संभव नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देशों को इस बात पर सहमत होना होगा कि आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती।
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