संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर कहा— “गांधीजी का संदेश आज भी विश्व शांति का मार्गदर्शन करता है”

समग्र समाचार सेवा
न्यूयॉर्क, 5 अक्टूबर: संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतननेनी हरीश ने अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया, जिसमें गांधीवादी सिद्धांतों की प्रासंगिकता और स्थायी वैश्विक शांति निर्माण में उनकी भूमिका पर विचार किया गया। इस चर्चा में जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

राजदूत हरीश ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में साझा किया कि महात्मा गांधी के तीन प्रमुख सिद्धांत — अहिंसा (Non-Violence), सत्याग्रह (Truth Force) और सर्वोदय (Upliftment of All) — आज की वैश्विक चुनौतियों का समाधान देने और दीर्घकालिक शांति का मार्ग प्रशस्त करने में एक सशक्त रूपरेखा प्रदान करते हैं।

उन्होंने लिखा —

“अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने घोषित किया है, भारत के लिए बापू को राष्ट्रीय श्रद्धांजलि और विश्व के लिए एक सामूहिक आह्वान है। गांधीजी का संदेश केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि समूची मानवता के लिए एक दिशा-सूचक दीप है — जहाँ शांति संघर्ष पर विजय पाती है, संवाद विभाजन पर, और करुणा भय पर।”

अपनी टिप्पणी में राजदूत हरीश ने कहा कि 2 अक्टूबर भारत में गांधी जयंती के रूप में और विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गांधीजी के अहिंसा के प्रति उनके अटूट समर्पण को सम्मानित करता है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा था।

उन्होंने कहा —

“यह दिन भारत की राष्ट्रीय स्मृति में निहित एक विरासत है, जो अब पूरी मानवता के साझा संदेश के रूप में विकसित हो चुकी है। स्थायी शांति तभी संभव है जब हम मानव पीड़ा को कम करने के लिए गरीबी जैसी सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती का समाधान करें।”

हरीश ने बताया कि महात्मा गांधी मानते थे कि सच्ची शांति तभी स्थापित हो सकती है जब प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त किया जाए, गरीबी से मुक्त किया जाए, और उसे अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंचने का अवसर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में लगभग 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है, जो 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को समय से पहले प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

अपने समापन भाषण में राजदूत हरीश ने कहा —

“आज के संघर्ष और विभाजन के युग में गांधीजी का संदेश पहले से अधिक प्रासंगिक है। अहिंसा मानवता के पास उपलब्ध सबसे बड़ी शक्ति है, जो स्थायी विश्व शांति सुनिश्चित कर सकती है। आइए, गांधीजी के सत्य, सर्वोदय और अहिंसा के मार्ग को अपनाएं — ताकि विकास में कोई भी पीछे न छूटे।”

 

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