समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जनवरी। शहर के वृंदावन इलाके में कल कथित तौर पर रामचरितमानस के पन्नों की फोटोकॉपी जलाने के बाद लखनऊ में “दुश्मनी को बढ़ावा देने” के आरोप में दस से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, प्राथमिकी भाजपा नेता सतनाम सिंह लवी द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में दर्ज की गई थी।
पीजीआई थाने में दस नामजद व कई अज्ञात लोग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 142, 143, 153-ए, 295, 295-ए, 298, 504, 505(2), व 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने कहा, “अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।”
भाजपा नेता द्वारा दायर की गई शिकायत के अनुसार, अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस में कथित तौर पर “महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी” वाले पृष्ठों की “फोटोकॉपी” जला दी।
बुक किए गए लोगों में यशपाल सिंह लोधी, देवेंद्र यादव, महेंद्र प्रताप यादव, नरेश सिंह, एसएस यादव, सुजीत, संतोष वर्मा और सलीम शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने 16 वीं शताब्दी के कवि-संत तुलसीदास द्वारा लिखी गई रचना रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि इसमें दलितों और महिलाओं का “अपमान” किया गया था।
सपा नेता ने कहा, “मुझे रामचरितमानस से कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके कुछ हिस्सों में विशेष जातियों और संप्रदायों पर अपमानजनक टिप्पणियां और कटाक्ष हैं। उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।”
मौर्य ने पहले इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा, “जिन लोगों ने मेरी गर्दन और जीभ काटने की धमकी दी थी, वे संत थे या किसी विशेष जाति के थे। अगर यह धमकी किसी अन्य धर्म के व्यक्ति ने दी होती, तो उसे आतंकवादी कहा जाता।” क्या संत मेरी जीभ और गर्दन काटने की धमकी दे रहे हैं, क्या वे आतंकवादी शैतान और जल्लाद नहीं हैं? यदि वे वास्तव में उस धर्म में विश्वास करते जिससे वे समर्थन करने का दावा करते हैं, तो वे ऐसी बातें नहीं कह सकते थे।
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