समग्र समाचार सेवा,
वॉशिंगटन/हेग, 6 जून: अमेरिका की ओर से उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सदस्य देशों से अपनी GDP का 5 प्रतिशत रक्षा खर्च पर खर्च करने की मांग पर अब नया मोड़ आया है। NATO महासचिव मार्क रुट्टे ने कहा है कि अधिकतर सदस्य देश अमेरिका की इस मांग को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, और वे आने वाले शिखर सम्मेलन से पहले इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहे हैं।
NATO महासचिव का बयान
मार्क रुट्टे ने शुक्रवार को मीडिया को दिए बयान में कहा, “ज्यादातर अमेरिकी सहयोगी देश इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों — खासकर चीन, रूस और आतंकवाद — के मद्देनज़र रक्षा बजट में बढ़ोतरी ज़रूरी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मांग को लेकर समर्थन में इज़ाफा हुआ है।”
हालांकि रुट्टे ने यह भी माना कि कुछ देश ऐसे हैं जो 5% GDP लक्ष्य को लेकर अब भी संघर्ष कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें लंबी अवधि की योजना बनानी होगी।
ट्रंप की स्पष्ट मांग और रणनीति
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से यह मांग ऐसे समय पर आई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप की सुरक्षा स्थिति पहले से कहीं अधिक संवेदनशील हो गई है।
ट्रंप का मानना है कि यदि NATO देश अपनी सुरक्षा पर अधिक खर्च करें, तो अमेरिका अपनी अन्य वैश्विक सुरक्षा प्राथमिकताओं पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकता है। उन्होंने दो टूक कहा, “अगर अमेरिका NATO की रक्षा जिम्मेदारी से हटेगा, तो यूरोप को अपनी सुरक्षा का बोझ खुद उठाना होगा।”
NATO शिखर सम्मेलन में हो सकता है फैसला
24-25 जून 2025 को हेग में होने वाले NATO शिखर सम्मेलन में इस नई रक्षा खर्च नीति को औपचारिक रूप से मंजूरी दी जा सकती है।
मौजूदा समय में कई NATO देश अब भी GDP के 2 प्रतिशत रक्षा खर्च लक्ष्य को हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में 5% की मांग उनके लिए बड़ा वित्तीय और राजनीतिक दबाव बन सकती है।
अमेरिका के रक्षा सचिव की टिप्पणी
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा कि ट्रंप ने NATO को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने कहा, “NATO अब अमेरिका की मदद से एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचा है। यूरोपीय देशों को अब यह समझना होगा कि अगर अमेरिकी सैनिकों की संख्या में कटौती होती है, तो उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि NATO देश हथियारों और सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए लक्ष्य तय कर चुके हैं, जिनका उद्देश्य यूरोप, आर्कटिक और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्रों की रक्षा करना है।
रूस की बढ़ती सैन्य ताकत चिंता का विषय
रिपोर्टों के मुताबिक, रूस अपने सशस्त्र बलों के विस्तार में जुटा है और इसके जवाब में NATO भी अपने सैन्य ढांचे को मज़बूत करने की तैयारी में है। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि अगले 5–10 वर्षों में NATO को रक्षा उपकरणों, सेना के आधुनिकीकरण और नई रणनीतिक तैनाती पर ज़ोर देना होगा।
NATO देशों की ओर से अमेरिका की 5% रक्षा खर्च की मांग पर बढ़ता समर्थन यह दर्शाता है कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ रहा है। जहां एक ओर यूरोप की संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर चुनौतियाँ बढ़ी हैं, वहीं अमेरिका भी अब साझी ज़िम्मेदारियों पर जोर दे रहा है।
आगामी हेग शिखर सम्मेलन इस दिशा में नए सैन्य और रणनीतिक युग की शुरुआत कर सकता है — जिसमें आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक संतुलन नए स्तर पर पहुंचेगा।
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