अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला, चुनाव में सिर्फ चार दिन बाकी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,2 नवम्बर। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब केवल चार दिन शेष हैं, और इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा और रोमांचक होता दिख रहा है। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच तगड़ा संघर्ष देखा जा रहा है। जहां ट्रंप अपनी रिपब्लिकन पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में जुटे हैं, वहीं कमला हैरिस, जो जो बाइडन के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, अपने अभियान को मजबूत बना रही हैं। शुक्रवार को दोनों नेताओं ने विभिन्न रैलियों और प्रचार अभियानों के माध्यम से मतदाताओं तक अपनी बातें पहुंचाने की कोशिश की।

ट्रंप का जोश और जोर

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों को प्रेरित करने के लिए लगातार कई रैलियों को संबोधित किया है। अपने चुनावी अभियान में उन्होंने अमेरिका को ‘महान बनाने’ के अपने वादे को दोहराया है और अपनी आर्थिक नीतियों, विदेश नीति और देश की सुरक्षा पर जोर दिया है। ट्रंप का कहना है कि वह अमेरिका को आर्थिक तौर पर और अधिक मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे और चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएंगे।

ट्रंप ने अपनी रैलियों में बार-बार यह संदेश दिया है कि यदि वह दोबारा चुने जाते हैं, तो वह अमेरिकी नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देंगे। ट्रंप ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लागू किए गए प्रतिबंधों के खिलाफ भी आवाज उठाई है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा किया है। उन्होंने हैरिस और बाइडन की नीतियों को कमजोर और खतरनाक करार दिया है, जो अमेरिका की प्रगति को बाधित कर सकती हैं।

हैरिस की रणनीति और मुद्दों पर फोकस

वहीं, कमला हैरिस ने अपने अभियान में सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य, और शिक्षा के मुद्दों पर जोर दिया है। वह लगातार यह कहती रही हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य हर अमेरिकी नागरिक के लिए समान अवसर और बेहतर जीवन सुनिश्चित करना है। हैरिस ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि ट्रंप ने महामारी के दौरान सही निर्णय नहीं लिए, जिससे कई अमेरिकियों की जान चली गई और देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।

कमला हैरिस के चुनावी अभियानों में महिलाओं, युवाओं, और अल्पसंख्यक समुदायों के मुद्दों को भी प्रमुखता से रखा गया है। हैरिस का कहना है कि उनकी पार्टी हर अमेरिकी की आवाज सुनेगी और उन्हें समान अवसर प्रदान करने का काम करेगी। वह जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा के मुद्दों पर भी प्रतिबद्ध हैं और चाहती हैं कि अमेरिका इस दिशा में वैश्विक नेतृत्व बनाए।

चुनावी माहौल और जनता की भूमिका

इस बार का चुनावी माहौल पिछले चुनावों से काफी अलग है, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली को बुरी तरह से प्रभावित किया है। चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने पहले ही डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव अमेरिका के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है।

चार दिन के भीतर क्या बदलाव हो सकते हैं?

चुनाव में अब केवल चार दिन बचे हैं और ट्रंप और हैरिस, दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रणनीति को और अधिक आक्रामक बना सकते हैं। अंतिम चार दिनों में वोटरों तक अपनी बात पहुंचाना दोनों ही उम्मीदवारों के लिए अहम होगा। जहां ट्रंप अपने समर्थकों को उत्साहित करने में लगे हैं, वहीं हैरिस अपने समर्थकों को मतदान के दिन का इंतजार करने के बजाय पहले से ही वोट करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

अमेरिकी जनता के लिए यह चुनाव यह तय करने का मौका है कि वे अगले चार साल के लिए किस दिशा में जाना चाहते हैं। चाहे वह ट्रंप हों या हैरिस, दोनों ही उम्मीदवार अपने अपने समर्थकों को पूरी ताकत से चुनाव में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि 5 नवंबर को किसकी जीत होती है और कौन अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनता है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.