उत्तराखंड: UCC में संपत्ति के बंटवारे का बदला नियम, अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चे भी होंगे जायदाद के हकदार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 फरवरी।
उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तुत समान नागरिक संहिता (UCC) में संपत्ति के बंटवारे से जुड़े महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नए प्रावधानों के तहत, अब अमान्य शादी से जन्मे बच्चे भी पारिवारिक संपत्ति में अधिकार प्राप्त कर सकेंगे। यह फैसला सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या है नया बदलाव?

अब तक, उत्तराखंड में संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ और अन्य धर्म-विशेष कानूनों के अनुसार किया जाता था। लेकिन UCC लागू होने के बाद, सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू होगा और एक समान उत्तराधिकार व्यवस्था बनाई जाएगी।

नए नियमों के तहत:

  1. अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों को भी संपत्ति में हिस्सा मिलेगा, जिससे वे कानूनी रूप से अधिकार संपन्न होंगे।
  2. संपत्ति का बंटवारा अब लिंग, धर्म, जाति या विवाह की वैधता के आधार पर भेदभाव रहित होगा।
  3. विवाह के प्रकार या मान्यता को ध्यान में रखे बिना, सभी संतानें उत्तराधिकार कानून के तहत समान अधिकार प्राप्त करेंगी।

इस बदलाव के पीछे की सोच

  • पहले कई मामलों में अमान्य विवाह (जैसे बिना पंजीकरण, दूसरी शादी, कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने वाले विवाह) से जन्मे बच्चों को संपत्ति के अधिकार नहीं मिलते थे।
  • इससे ऐसे बच्चों को समाज में कानूनी और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
  • UCC के तहत यह सुधार उन्हें संपत्ति का उचित हक देने के लिए किया गया है, जिससे सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो सके।

किन्हें होगा सबसे ज्यादा फायदा?

  • ऐसे बच्चे जिनकी माता-पिता की शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं थी।
  • जिन महिलाओं की शादी बिना किसी आधिकारिक पंजीकरण के हुई थी, लेकिन उनके बच्चे संपत्ति के उत्तराधिकार से वंचित थे।
  • जिन परिवारों में संपत्ति का बंटवारा विवाह की वैधता के आधार पर किया जाता था, वहां अब समान अधिकार मिलेगा।

UCC का अन्य प्रभाव

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने UCC को कानूनी रूप से लागू किया। इसके तहत विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानूनों को एकरूपता दी गई है। यह न केवल महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में समानता और न्याय को भी बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह फैसला संपत्ति के अधिकारों को न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों को जायदाद में हिस्सेदारी देने का निर्णय समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त करेगा और समानता की दिशा में देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल पेश करेगा।

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