उत्तरकाशी और किन्नौर में बादल फटने से भारी तबाही, ITBP ने बचाई 413 तीर्थयात्रियों की जान

समग्र समाचार सेवा
उत्तरकाशी/किन्नौर, 6 अगस्त:
त्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का कहर देखने को मिला है। मंगलवार को उत्तरकाशी के धराली गांव और हिमाचल के किन्नौर जिले में बादल फटने की घटनाओं से भारी तबाही मची। कई घर, होटल और रिसॉर्ट बह गए, जबकि सैकड़ों तीर्थयात्री फंसे रह गए। राहत की बात यह है कि ITBP और NDRF की टीमों ने अब तक 413 लोगों को सुरक्षित बचा लिया है।

उत्तरकाशी में पहाड़ों से आया तबाही का सैलाब

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने की घटना में तेज़ बहाव के साथ आया मलबा और पानी कई घरों को अपने साथ बहा ले गया। घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे कुछ सेकेंड में तबाही मच गई। कई लोग अब भी लापता हैं और राहत कार्य लगातार जारी है।

किन्नौर में किन्नर कैलाश यात्रा के दौरान फंसे सैकड़ों श्रद्धालु

इसी बीच हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में भी बादल फटा, जिससे किन्नर कैलाश यात्रा पर निकले सैकड़ों श्रद्धालु तांगलिंग क्षेत्र में फंस गए। इस क्षेत्र में दो पुल बह गए, जिससे यात्रा मार्ग बाधित हो गया।

किन्नौर-कैलाश मार्ग पर अचानक आई बाढ़ के कारण यात्रियों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया, लेकिन ITBP की 17वीं बटालियन और NDRF की टीम ने मौके पर पहुंचकर तेज़ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।

ITBP का साहसिक रेस्क्यू ऑपरेशन

ITBP ने रस्सी आधारित ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक का प्रयोग करते हुए 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इस ऑपरेशन में 1 गजेटेड ऑफिसर, 4 सब-ऑर्डिनेट ऑफिसर और 29 जवानों की टीम जुटी रही। रात भर चले इस अभियान में जान जोखिम में डालकर लोगों को सुरक्षित निकाला गया

सरकार और प्रशासन की निगरानी

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्य सरकारें हालात पर नजर बनाए हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें तैनात हैं। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की है।

उत्तरकाशी और किन्नौर में आई यह आपदा एक बार फिर से पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। जहां एक ओर ITBP और NDRF की तत्परता ने सैकड़ों जानें बचाईं, वहीं दूसरी ओर यह घटना प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है।

 

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