समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27अगस्त। जस्टिस उदय उमेश ललित ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जज मौजूद रहे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर आसीन होने वाले 49वें व्यक्ति जस्टिस ललित का का कार्यकाल 8 नवंबर तक होगा.
नए चीफ जस्टिस यू यू ललित ने संविधान पीठ के सामने सालों से लंबित मामलों के निपटारे को अपनी प्राथमिकताओं में से एक बताया है. यही वजह है कि 29 अगस्त से संविधान पीठ बैठने जा रही है, जो एक-एक कर 25 अहम मामलों की सुनवाई करेगी.
सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाईकोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे हैं. उनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी.
9 नवंबर 1957 में जन्म लेने वाले उदय उमेश ललित 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए थे. उससे पहले वह देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते थे.उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2जी घोटाला मामले में विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था.उनके पिता यू. आर. ललित बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज रह चुके हैं. यू. आर. ललित भी देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते हैं. जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित भी महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के नामी वकीलों में से एक थे.
3 तलाक की व्यवस्था रद्द की
सुप्रीम कोर्ट में अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस ललित कई बड़े फैसलों के हिस्सा रहे हैं. 22 अगस्त 2017 को तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ 3 तलाक बोलने की व्यवस्था को असंवैधानिक करार देने वाली 5 जजों की बेंच के वह सदस्य थे. इस मामले में जस्टिस रोहिंटन नरीमन के साथ लिखे साझा फैसले में उन्होंने कहा था कि इस्लाम में भी एक साथ 3 तलाक को गलत माना गया है. पुरुषों को हासिल एक साथ 3 तलाक बोलने का हक महिलाओं को गैर बराबरी की स्थिति में लाता है. ये महिलाओं के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.
10 जनवरी 2019 को जस्टिस यू यू ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से खुद को अलग किया था. उन्होंने इस बात को आधार बनाया था कि करीब 2 दशक पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए वकील के रूप में पेश हो चुके हैं.
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