समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वीर बाल दिवस भारतीयों को विश्व में अपनी पहचान पर गर्व करने का अवसर देगा। आज नई दिल्ली में पहले वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह दिन अपने अतीत का जश्न मनाने और लोगों को भविष्य के लिए प्रेरित करने का अवसर है। श्री मोदी ने कहा कि चमकौर और सरहन्द के युद्ध कभी भुलाये नहीं जा सकते। ये युद्ध हमारी भूमि पर तीन शताब्दी पूर्व लडे गये थे। हमें अपने अतीत को भूलना नहीं चाहिए और बलिदान को याद रखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख गुरूओं की परम्परा एक भारत-श्रेष्ठ भारत के विचार को प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि जिस देश का ऐसा इतिहास रहा हो, उसे साहस की भावना से भरा होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसा इतिहास पढाया गया, जिसमें हमारे अन्दर हीनता की भावना पैदा करने वाले नैरेटिव थे।
इस वर्ष नौ जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के दिन श्री मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के बेटों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने लगभग तीन सौ बच्चों द्वारा किए गए शबद कीर्तन में भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने तीन हजार बच्चों के मार्च पास को भी झण्डी दिखाकर रवाना किया। केन्द्र सरकार साहबजादों के साहस और वीरता का स्मरण करने के लिए देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।
समारोह को संबोधित करते हुए पीएम कहा, औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, उसकी भारत को बदलने की साजिशों के खिलाफ गुरु गोविंद सिंह जी चट्टान की तरह खड़े रहे. औरंगजेब और उसके लोग तलवार के बल पर गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों का धर्म बदलना चाहते थे.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत को अगर सफलता के शिखर पर ले जाना है तो उसे अतीत के संकुचित नजरिये से भी आजाद होना होगा. पीएम मोदी ने कहा, शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस हमारी सिख परंपरा के लिए भावों से भरा जरूर है, लेकिन इससे आकाश जैसी अनंत प्रेरणा जुड़ी हैं. वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय आयु मायने नहीं रखती. यह याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है.
पीएम मोदी ने कहा, एक ओर मजहबी उन्माद और दूसरी ओर सब में ईश्वर देखने वाली उदारता. इस सबके बीच एक ओर लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर वीर साहिबजादे. यह साहिबजादे किसी से डरे और झुके नहीं.
यह अतीत हजारों वर्ष पुराना नहीं है. यह सब कुछ इसी देश की मिट्टी पर केवल 3 सदी पहले हुआ. एक ओर धार्मिक कट्टरता और उस कट्टरता में अंधी मुगल सल्तनत और एक ओर ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीनें वाली परंपरा है.
राजधानी स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत की याद में पहले वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही. साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके त्याग और उनकी इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को इतिहास में भुला दिया गया.
पीएम मोदी ने कहा, ने कहा कि लेकिन अब ‘नया भारत’ दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वह गढ़े हुए विमर्श बताएं और पढ़ाए जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीन भावना पैदा हो. बावजूद इसके हमारे समाज और हमारी परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जीवंत रखा.
प्रधानमंत्री मोदी ने ने कहा, अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखर पर ले जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना पड़ेगा. इसलिए, आजादी के ‘अमृतकाल’ में देश ने ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ का प्राण फूंका है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा के लिए मोड़ देता है और इसी संकल्प शक्ति के साथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है. मोदी ने कहा कि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विचार का भी प्रेरणापुंज है.
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने लगभग 300 बच्चों द्वारा किए गए शबद कीर्तन में भाग लिया. केंद्र सरकार ने इसी वर्ष नौ जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के दिन गुरु गोबिंद सिंह के बेटों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.
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