वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के वाणिज्य एक प्रबंधन विभाग में “नीडोनॉमिक्स विषय पर एक दिवसीय सेमिनार

समग्र समाचार सेवा
आरा, 19 अक्टूबर:
वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय  
के वाणिज्य एक प्रबंधन विभाग में “नीडोनॉमिक्स विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया,
जिसकी अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार सिंह ने किया 
सेमिनार में मुख्यवक्ता के रूप में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. मदन मोहन गोयल उपस्थित रहे..
 “नीडोनॉमिक्स सादगी, प्रामाणिकता और आवश्यकता-आधारित सिद्धांतों को बढ़ावा देता है, जो शैक्षणिक अनुसंधान में सत्यनिष्ठा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं,” यह विचार नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक, तीन बार के कुलपति एवं पूर्व प्रो-वाइस चांसलर प्रो. मदन मोहन गोयल ने व्यक्त किए।
नैतिक शोध और लेखन पर बल देते हुए प्रो. गोयल ने “प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ”  की मानसिकता को बदलकर “उद्देश्यपूर्ण प्रकाशन” अपनाने की आवश्यकता बताई, जो नीडोनॉमिक्स के सिद्धांतों के अनुरूप है।
उन्होंने शोधार्थियों को समाज की वास्तविक आवश्यकताओं, मौलिकता और वैश्विक ज्ञान समानता को प्राथमिकता देने की सलाह दी, जिससे शोध कार्य नैतिक और समावेशी बन सके।
प्रो. गोयल ने समझाया कि नीडोनॉमिक्स (आवश्यकताओं का अर्थशास्त्र) संसाधनों के नैतिक और सतत प्रबंधन को बढ़ावा देता है तथा लाभ-प्रधान मॉडलों से अलग है। यह वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति पर बल देता है, साथ ही अपव्यय और पर्यावरणीय हानि को न्यूनतम करने की वकालत करता है। सामान्य-बुद्धि-आधारित नैतिकता और गीता के श्लोक “योगक्षेमं वहाम्यहम्” से प्रेरित होकर नीडोनॉमिक्स एक ‘नीडो-लाइफस्टाइल’ की अवधारणा प्रस्तुत करता है, जिसमें नीडो-उपभोग, बचत, उत्पादन, निवेश, व्यापार, परोपकार और वितरण शामिल हैं।
प्रो. गोयल ने नीडोनॉमिक्स पर प्रायोगिक  शोध के लिए सुदृढ़ शोध पद्धति की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में अंतःविषयी नीति-संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने शोध सारांशों में स्पष्ट नीतिगत निहितार्थ लिखें और नैतिक लेखन को एक नैतिक उत्तरदायित्व के रूप में देखें।
प्रो. गोयल के अनुसार, जब वैश्विक चुनौतियाँ तीव्र हो रही हैं, तब नीडोनॉमिक्स सतत विकास और न्यायसंगत प्रगति के लिए एक मार्गदर्शक रूपरेखा प्रदान करता है, जो शैक्षणिक अनुसंधान में स्पष्टता, उद्देश्य और नैतिक आधार की आवश्यकता को पुनः रेखांकित करता है।
सेमिनार का संचालन डॉ. किरण कुमारी शर्मा, और प्रो. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
सेमिनार में मुख्य रूप से प्रो. जितेंद्र कुमार,प्रो.विजय कुमार सिंह, प्रो.मसूद आलम ,प्रो.गुरुदयाल सिंह, प्रो. अनुज रजक, प्रो.दूधनाथ चौधरी,प्रो.अनिल कुमार सिंह, डॉ.किरण कुमारी शर्मा, डॉ. अमित कुमार, डॉ. दीपक कुमार मांझी,डॉ. चक्रेश कुंतल, डॉ. प्रवीण कुमार तिवारी, डॉ. खुशनूद आलम, डॉ. मनोज कुमार,डॉ.राज पाण्डेय, अनिल कुमार पाल,पूर्णिमा कुमारी, उज्ज्वल कुमार,संध्या सिंह, शिप्रा कुमारी सहित वाणिज्य और प्रबंधन विभाग के रिचर्स स्कॉलर और छात्र -छात्राएं उपस्थित रहे..

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