VHP का राष्ट्रव्यापी अभियान: हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की पहल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 दिसंबर।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जन जागरण अभियान की घोषणा की। नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में विहिप के संगठन महासचिव मिलिंद परांडे ने बताया कि यह अभियान 5 जनवरी 2025 से शुरू होगा। ‘हिंदव शंखारावम’ नामक इस अभियान की शुरुआत विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में एक विशाल सभा के साथ होगी, जहां लाखों लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक किया जाएगा।

सरकारी नियंत्रण पर आलोचना

मिलिंद परांडे ने सरकारों पर हिंदू मंदिरों के प्रबंधन और संपत्तियों पर कब्जा बनाए रखने का आरोप लगाते हुए इसे भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12, 25, और 26 का उल्लंघन है। परांडे ने जोर देकर कहा कि उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राज्य सरकारें मंदिरों पर अपना नियंत्रण नहीं छोड़ रही हैं। उन्होंने इसे स्वतंत्रता के बाद समाप्त हो जाने वाला “अधिनायकवादी” रवैया बताया।

सोच-विचार समूह और प्रस्तावित सुधार

मंदिर प्रबंधन के मुद्दों को हल करने के लिए विहिप ने एक थिंक टैंक का गठन किया है, जिसमें कानूनी विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, संत समाज के नेता और विहिप कार्यकर्ता शामिल हैं। इस समूह ने मंदिर प्रबंधन को हिंदू समाज को लौटाने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार किया है।
प्रस्तावित सुधारों के तहत:

  • राज्य और जिला स्तर पर धर्मिक परिषदें बनाई जाएंगी।
  • ये परिषदें धर्माचार्यों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, और हिंदू धर्मशास्त्र के विशेषज्ञों से मिलकर बनी होंगी।
  • परिषदें मंदिर प्रबंधन, ट्रस्टी नियुक्ति और विवादों को सुलझाने का कार्य करेंगी।

विहिप ने इस मसौदा कानून को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को सौंपा है और अन्य राज्य सरकारों व राजनीतिक दलों के साथ भी संवाद कर रहा है।

मुख्य मांगें

विहिप ने मंदिरों के प्रबंधन में सुधार के लिए कई प्रमुख मांगें रखी हैं:

  1. मंदिरों और उनकी संपत्तियों से गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाया जाए।
  2. मंदिर ट्रस्ट बोर्ड में राजनेताओं और राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों की नियुक्ति पर रोक लगाई जाए।
  3. मंदिरों की आय केवल धर्म के प्रचार और समाज सेवा के लिए उपयोग हो।
  4. मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जों को हटाया जाए।
  5. मंदिर परिसरों के भीतर और बाहर की दुकानों को केवल हिंदुओं के स्वामित्व में दिया जाए।

राज्यपालों को सौंपा ज्ञापन

30 सितंबर 2024 को, विहिप ने सभी राज्यों के राज्यपालों को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकारों से मंदिरों के प्रबंधन से हटने की मांग की गई। विहिप ने कहा कि यह कदम न केवल मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि हिंदू समाज की सेवा में इनका सही उपयोग भी करेगा।

आंदोलन का महत्व

यह अभियान हिंदू मंदिरों को स्वायत्तता प्रदान करने और हिंदू धरोहर की रक्षा के लिए विहिप की लंबे समय से चल रही मांगों का हिस्सा है। बढ़ते जनसमर्थन के साथ, यह अभियान सरकारों पर दबाव बनाएगा कि वे मंदिरों के प्रबंधन में सुधार लागू करें।

निष्कर्ष

विहिप का यह राष्ट्रव्यापी अभियान केवल मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का आंदोलन नहीं है, बल्कि यह हिंदू समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता की पुनर्स्थापना का प्रयास है। यह पहल हिंदू मंदिरों की संपत्तियों और उनकी प्राचीन परंपराओं की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
‘हिंदव शंखारावम’ न केवल जन जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि एक नई दिशा में हिंदू समाज को संगठित करने का प्रयास भी है।

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