उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले अमित शाह का हमला: “सलवा जुडूम खत्म कर नक्सलवाद को 20 साल तक जिंदा रखा जस्टिस रेड्डी ने”
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 अगस्त: उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को INDIA गठबंधन के उम्मीदवार, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी, पर गंभीर आरोप लगाए। शाह ने कहा कि 2011 में रेड्डी द्वारा दिए गए फैसले के कारण नक्सलवाद, जो उस समय लगभग समाप्त होने की कगार पर था, अगले दो दशकों तक जिंदा रहा।
एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में शाह ने कहा, “सलवा जुडूम को खत्म करने वाला फैसला ही वह कारण है जिसकी वजह से नक्सलवाद 2020 से पहले खत्म नहीं हो पाया। यह फैसला नक्सलियों के लिए जीवनदान था।”
सलवा जुडूम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जुलाई 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बी. सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस.एस. निज्जर की बेंच ने सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए भंग करने का आदेश दिया था। यह जनसंगठन छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में नक्सल विरोधी अभियान के रूप में शुरू किया गया था।
फैसले में कहा गया था कि राज्य अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता और उसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित पुलिस बल का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि आम नागरिकों को हथियारबंद करना।
शाह का आरोप – “आदिवासियों का आत्मरक्षा का अधिकार छीना गया”
अमित शाह ने कहा कि सलवा जुडूम आदिवासियों द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की मांग के लिए बनाया गया आंदोलन था। उन्होंने कहा, “सलवा जुडूम का उद्देश्य आदिवासियों की रक्षा करना था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनका आत्मरक्षा का अधिकार छीन लिया। इसके बाद नक्सलवाद को फिर से पांव पसारने का मौका मिला।”
उन्होंने आगे कहा कि फैसले के तुरंत बाद कई स्कूलों और इमारतों से सुरक्षा बलों को हटाना पड़ा। “रातों-रात सीआरपीएफ और सुरक्षाबलों को वहां से बाहर निकाल दिया गया। उन पर हमले हुए। नक्सलवाद को इस फैसले से नई ताकत मिली।”
राहुल गांधी से जवाब मांगा
शाह ने सीधे राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि क्यों INDIA गठबंधन ने ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया, जिसने अपने फैसले से वामपंथी विचारधारा का समर्थन किया।
“यह सवाल राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए। रेड्डी को उम्मीदवार बनाना दर्शाता है कि विपक्ष वामपंथी विचारधारा के साथ खड़ा है,” शाह ने कहा।
विपक्ष की दलील – “वैचारिक लड़ाई”
वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि यह चुनाव वैचारिक संघर्ष है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन किया है। विपक्ष का दावा है कि NDA के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन के मुकाबले जस्टिस रेड्डी लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का चेहरा हैं।
बी. सुदर्शन रेड्डी ने 21 अगस्त को नामांकन दाखिल किया है। वे 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार राधाकृष्णन के खिलाफ मैदान में होंगे।
अमित शाह का यह बयान न केवल विपक्षी उम्मीदवार पर सीधा हमला है, बल्कि इसे नक्सलवाद के मुद्दे को फिर से राजनीतिक विमर्श में लाने की कोशिश भी माना जा रहा है। जहां NDA इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र बनाम सत्ता की लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है।
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