क्रिसमस शांति और करुणा का पर्व है: उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति ने कहा— भारत की एकता विविधता में सम्मान और साझा मूल्यों से मजबूत होती है
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CBCI द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में उपराष्ट्रपति ने लिया हिस्सा
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ईसा मसीह का संदेश भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ा: राधाकृष्णन
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शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा में ईसाई समुदाय के योगदान की सराहना
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‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ और विकसित भारत@2047 के लक्ष्य पर दिया जोर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 18 दिसंबर: उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने गुरुवार को नई दिल्ली में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लिया और देशभर के ईसाई समुदाय को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि क्रिसमस शांति, करुणा, विनम्रता और मानव सेवा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह द्वारा दिया गया प्रेम, सद्भाव और नैतिक साहस का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है और यह भारत की उन आध्यात्मिक परंपराओं से मेल खाता है, जो सह-अस्तित्व, करुणा और मानव गरिमा के सम्मान पर आधारित हैं।
ईसाई धर्म की भारत में लंबी उपस्थिति का उल्लेख करते हुए श्री राधाकृष्णन ने कहा कि ईसाई समुदाय ने देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और विकासात्मक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुधार और मानव विकास के क्षेत्रों में समुदाय के निरंतर योगदान की सराहना की, जो देश के दूरदराज़ इलाकों तक पहुंचा है।
अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने बताया कि झारखंड और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में राज्यपाल रहते हुए उन्हें कई ईसाई संगठनों के साथ निकटता से काम करने का अवसर मिला। उन्होंने सांसद रहते हुए कोयंबटूर के एक चर्च में हर वर्ष क्रिसमस मनाने और वहां बने आपसी विश्वास व समझ का भी उल्लेख किया।
तमिलनाडु के ऐतिहासिक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने वीरामामुनिवर (कॉन्स्टेंटाइन जोसेफ बेस्की) के योगदान को याद किया, जिन्होंने तमिल साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि यह भारत में ईसाई परंपरा के गहरे सांस्कृतिक समावेशन को दर्शाता है।
भारत की बहुलतावादी परंपरा पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की एकता समानता में नहीं, बल्कि पारस्परिक सम्मान और साझा मूल्यों में निहित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में शांति और सौहार्द का माहौल है और किसी भी प्रकार के भय की आवश्यकता नहीं है।
क्रिसमस की भावना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि जैसे क्रिसमस विभिन्न आस्थाओं के लोगों को जोड़ता है, वैसे ही यह राष्ट्रीय दृष्टि भारत की विविधता को संजोते हुए एकता को मजबूत करती है।
उपराष्ट्रपति ने सभी समुदायों से विकसित भारत@2047 के लक्ष्य को हासिल करने में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस, CBCI के अध्यक्ष आर्चबिशप एंड्रयूज थाझथ, भारत में अपोस्टोलिक नुनसियो आर्चबिशप लियोपोल्ड गिरेली सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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