उपराष्ट्रपति चुनाव: बीजेपी करेगी अंदरूनी उम्मीदवार की पहचान, सहयोगियों का समर्थन

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 जुलाई: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, और निर्वाचन आयोग ने संविधान के तहत तुरंत उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रारंभिक दौर में विपक्ष और कई विश्लेषकों ने अटकलें लगाई कि सहयोगी दलों के नेताओं को मौका मिल सकता है, लेकिन अब एक बड़ा खुलासा हुआ है—बीजेपी अपना ही उम्मीदवार लाएगी।

बीजेपी का स्पष्ट रुख और सहयोगियों की सहमति

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने निर्णय लिया है कि आगे चुनाव के लिए पार्टी के भीतर से ही उम्मीदवार चुना जाएगा। इस निर्णय का स्वागत इसके सहयोगी दलों—जेडीयू और टीडीपी—ने भी खुलकर किया है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि NDA में मजबूत एकजुटता बनी हुई है और गठबंधन सहयोगियों को भी इस रुख से संतोषजनक समर्थन मिलेगा

उम्मीदवार चयन में किन पहचानों पर होगी नजर?

पार्टी ने संकेत दिया है कि वह ऐसे उम्मीदवार को चुनेगी जो अनुभवी, स्वीकार्य और पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध हो। इस पद के लिए चर्चा में केरल के पूर्व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, राज्यसभा उपसभापति और जेडीयू नेता हरिवंश नारायण सिंह, तथा केंद्रीय कृषि मंत्री एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नाम सामने आए थे।

हालांकि, अब भाजपा के स्पष्ट फैसले के बाद, पार्टी अपने अंदरूनी दावेदारों में से किसी एक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। विपक्ष की भूमिका पर अंकुश का संकेत भी पार्टी इस रुख में जताना चाहती है।

संविधान की गति: अनुच्छेद 66 के तहत चुनाव प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद खाली होने पर चुनाव जल्द से जल्द आयोजित करने का प्रावधान है। इसी के तहत निर्वाचन आयोग ने बुधवार को ही नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है, और अगले कुछ हफ्तों में चुनाव सम्पन्न करने का समय-सीमा तय किया गया है।

इसके बाद, पार्टी अंदरलूनी उम्मीदवार को अंतिम रूप देगी, और निर्वाचक वोटों की गणना के साथ नई नियुक्ति को औपचारिक रूप दिया जाएगा

अगले सप्ताह की राजनीति पर निगाहें

अगले कुछ दिनों में यह साफ होगा कि बीजेपी किस चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाएगी और किस प्रकार का चुनावी रण जारी रहेगा। सहयोगियों का समर्थन और अटकलें एक ओर, वहीं विपक्ष की प्रतिक्रिया भी इस प्रक्रिया को और रोचक बना सकती है। इस पूरे घटनाक्रम ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को नया आयाम दे दिया है।

 

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