उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान, 9 सितंबर को होगा मतदान
उपराष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बजा: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुआ पद, जानिए चुनाव की पूरी प्रक्रिया और संवैधानिक महत्व
- भारत निर्वाचन आयोग ने 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव, 2025 का पूरा शेड्यूल जारी कर दिया है।
- मतदान 9 सितंबर को होगा और उसी दिन शाम तक मतगणना के बाद परिणाम भी घोषित हो जाएंगे।
- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, और 7 अगस्त को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 अगस्त, 2025: भारत के उपराष्ट्रपति का पद, जो पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से खाली था, अब भरा जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव, 2025 का विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है। इसके अनुसार, 9 सितंबर को मतदान होगा और उसी दिन परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब राजनीतिक गलियारों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। चुनाव आयोग ने एक पोस्ट के माध्यम से इस बात की भी पुष्टि की है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची तैयार कर ली गई है।
उपराष्ट्रपति चुनाव का पूरा कार्यक्रम
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया इस प्रकार होगी:
अधिसूचना जारी होने की तारीख: 7 अगस्त, 2025 (गुरुवार)
नामांकन की अंतिम तारीख: 21 अगस्त, 2025 (गुरुवार)
नामांकन पत्रों की जांच: 22 अगस्त, 2025 (शुक्रवार)
नाम वापस लेने की अंतिम तारीख: 25 अगस्त, 2025 (सोमवार)
मतदान की तारीख: 9 सितंबर, 2025 (मंगलवार)
मतदान का समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
मतगणना की तारीख: 9 सितंबर, 2025 (मंगलवार)
कौन हैं उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदाता?
संविधान के अनुच्छेद 66 (1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं:
लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
यह प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव से अलग है, जिसमें राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य भी हिस्सा लेते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है और पार्टियों द्वारा अपने सांसदों के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाता है। एक उम्मीदवार को अपने नामांकन पत्र के लिए कम से कम 20 सांसदों के प्रस्तावक और 20 सांसदों के समर्थक की आवश्यकता होती है।
उपराष्ट्रपति का संवैधानिक महत्व
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उनके पास कई महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारियां होती हैं:
राज्यसभा के पदेन सभापति: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। वे सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं और उसकी गरिमा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना: यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र या किसी अन्य कारण से खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई, 2025 को ‘स्वास्थ्य कारणों’ का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से यह पद खाली था।
राजनीतिक सरगर्मियां और संभावित उम्मीदवार
चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही, राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा संभावित उम्मीदवारों पर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा। अगर कोई एक ही उम्मीदवार मैदान में होता है तो वह निर्विरोध चुन लिया जाएगा, अन्यथा 9 सितंबर को वोटिंग के बाद ही देश को अपना नया उपराष्ट्रपति मिलेगा।
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