उपराष्ट्रपति चुनाव: नामांकन में फर्जी हस्ताक्षर का खुलासा, 68 में सिर्फ़ 2 ही वैध

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 अगस्त: देश में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव इस बार कई रोचक और चौंकाने वाले घटनाक्रमों के बीच हो रहा है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद यह चुनाव आयोजित किया जा रहा है। एनडीए और इंडिया गठबंधन ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन इस बीच नामांकन की प्रक्रिया में फर्जी हस्ताक्षर का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है।

नामांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी

21 अगस्त को नामांकन की अंतिम तिथि थी। इस दिन तक कुल 46 उम्मीदवारों ने 68 नामांकन पत्र दाखिल किए। इनमें से 19 उम्मीदवारों के 28 नामांकन शुरुआती जांच में ही खारिज कर दिए गए। शेष 27 उम्मीदवारों के 40 नामांकन की छानबीन 22 अगस्त को हुई।

छानबीन के बाद केवल दो उम्मीदवारों—सी पी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी—के नामांकन ही वैध पाए गए। इन दोनों उम्मीदवारों ने चार-चार नामांकन दाखिल किए थे।

Joemon जोसेफ के नामांकन में फर्जी साइन

जांच के दौरान सबसे बड़ा विवाद केरल के उम्मीदवार Joemon जोसेफ के नामांकन को लेकर सामने आया। उनके नामांकन पत्र में कुल 22 प्रस्तावक और 22 समर्थक सांसदों के नाम और हस्ताक्षर दिए गए थे। लेकिन कई सांसदों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस नामांकन पर कभी हस्ताक्षर ही नहीं किए।

मामला तब और गंभीर हो गया जब छानबीन में यह पाया गया कि वाईएसआरसीपी के सांसद मिधुन रेड्डी, जो फिलहाल जेल में हैं, के भी हस्ताक्षर नामांकन पत्र में दर्शाए गए हैं। इससे साफ़ हो गया कि नामांकन में फर्जी दस्तखत किए गए हैं।

चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए Joemon जोसेफ का नामांकन खारिज कर दिया।

उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद पर चुनाव की घोषणा की।

  • नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अगस्त
  • नाम वापस लेने की तिथि: 25 अगस्त तक
  • मतदान की तिथि: 9 सितंबर 2025
  • नतीजा: मतदान वाले दिन ही नए उपराष्ट्रपति का ऐलान किया जाएगा।

राजनीतिक सरगर्मी तेज

एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच यह चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। हालांकि नामांकन की छानबीन के बाद अब मुकाबला केवल दो वैध उम्मीदवारों तक सीमित हो गया है। फर्जी हस्ताक्षर के मामले ने न केवल नामांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी तीखी बहस छेड़ दी है।

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर जहां राजनीतिक दलों में रणनीतिकारियों की हलचल बढ़ गई है, वहीं नामांकन में फर्जीवाड़ा सामने आना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है। अब सबकी निगाहें 9 सितंबर पर टिकी हैं, जब देश को नया उपराष्ट्रपति मिलेगा।

 

 

Comments are closed.