उपराष्ट्रपति ने मार इवानियोस कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह में की शिरकत

युवा ‘विकसित भारत @2047’ के वास्तविक शिल्पकार हैं: उपराष्ट्रपति

  • तिरुवनंतपुरम स्थित मार इवानियोस कॉलेज के 75 वर्ष पूरे होने पर प्लेटिनम जयंती समारोह
  • उपराष्ट्रपति ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला बताया
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भारतीय शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तनकारी कदम बताया
  • युवाओं से नवाचार, उद्यमिता और नैतिक तकनीकी उपयोग का आह्वान

समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम | 30 दिसंबर: उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज तिरुवनंतपुरम स्थित मार इवानियोस कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह आयोजन शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में संस्थान के 75 वर्षों के योगदान का प्रतीक रहा।

समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मार इवानियोस कॉलेज जैसे शिक्षण संस्थान शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का जीवंत उदाहरण हैं, जो न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि समाज को अज्ञानता और असमानता से भी मुक्त करने में अहम भूमिका निभाते हैं।


उन्होंने कहा कि जब शैक्षिक और आध्यात्मिक संस्थान संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप कार्य करते हैं, तब वे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करते हैं। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों के पालन का भी आग्रह किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत ‘विकसित भारत @2047’ के विजन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज का युवा भविष्य की प्रतीक्षा नहीं कर रहा, बल्कि सक्रिय रूप से उसे आकार दे रहा है। उनके अनुसार विकसित भारत का निर्माण केवल नीति-निर्माण तक सीमित नहीं, बल्कि कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, खेतों, कारखानों, स्टार्टअप्स और गांवों में युवाओं की ऊर्जा से होगा।

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को रटने की पुरानी पद्धति से हटकर बहु-विषयक शिक्षा, आलोचनात्मक सोच, नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाला ऐतिहासिक कदम बताया। साथ ही उन्होंने शैक्षिक परिसरों को नवाचार और उद्यमिता के केंद्र के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने युवाओं से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और भाषा प्रसंस्करण जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि तकनीक का उपयोग नैतिकता, संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक हित को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।

केरल की उच्च साक्षरता और शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह राज्य के लोगों और संस्थानों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, सांसद शशि थरूर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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