उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने वाणिज्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विश्व स्तरीय अनुसंधान का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने गोवा में संत सोहिरोबनाथ अंबिए गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के नए परिसर का किया उद्घाटन

समग्र समाचार सेवा
पणजी, 29अक्टूबर। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा है कि विषयों के सख्त अलगाव का युग समाप्त हो गया है। साथ ही उन्होंने उच्च शिक्षा में एक बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया ताकि हर प्रकार से योग्य शिक्षित व्यक्तियों और बेहतर शोध परिणामों को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में मानविकी को समान महत्व देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

आज गोवा के पेरनेम में संत सोहिरोबनाथ अंबिए गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कला और सामाजिक विज्ञान के सम्पर्क में आने से यह माना जाता है कि छात्रों में रचनात्मकता बढ़ने, उनकी सोच में महत्वपूर्ण सुधार और परस्पर संवाद में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा, “21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में इन गुणों की अत्यधिक मांग है, क्योंकि अब अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र साइलो में काम नहीं करता है।”

न केवल विज्ञान बल्कि सामाजिक विज्ञान, भाषाओं और वाणिज्य तथा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विश्व स्तर के शोधकर्ताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री नायडू ने राज्य के कई संस्थानों में वाणिज्य और आर्थिक प्रयोगशालाओं तथा भाषा प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए गोवा सरकार की प्रशंसा की।

भारत को 50 खरब अमेरिकी डॉलर (05 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने के हमारे प्रयासों में वाणिज्य को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए उपराष्ट्रपति ने ई-कॉमर्स के आगमन के बाद इस विषय में तेजी से हो रहे परिवर्तनों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा, “मैं आपसे वैश्विक स्तर पर व्यापार और वाणिज्य में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए वाणिज्य के इन उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आग्रह करूंगा।”

यह याद करते हुए कि नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे उन्नत शिक्षा के कई प्रसिद्ध संस्थान कभी प्राचीन भारत में ही विद्यमान थे, श्री नायडू ने कहा कि हमें उसी पिछले गौरव को फिर से हासिल करना है और भारत को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाना है।

भारत के गौरवशाली अतीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में युवा पीढ़ी को सिखाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने और हमारी शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया में कहीं से भी अच्छी चीजें सीखनी और स्वीकार करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही भारतीय सभ्यता के मूल्यों पर मजबूती से टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को गोवा की मुक्ति और इसके लिए कई महापुरुषों के बलिदान के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए

गोवा राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि की सराहना करते हुए श्री नायडू ने इन दोनों के संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने स्कूली स्तर की शिक्षा में मातृभाषा को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी जोर दिया।

यह कहते हुए कि नवाचार विकास का एक प्रमुख संचालक है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) में अपनी बढ़त और शिक्षित युवा जनसंख्या के साथ ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में विश्व नेता बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा, “हमें अपने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की जरूरत है,” उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों और कुलपतियों से शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप अनुसंधान पर आवश्यक जोर देने का भी आग्रह किया। उन्होंने बहु-विषयक परियोजनाओं में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के लिए गोवा राज्य अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की योजना के लिए गोवा सरकार की प्रशंसा की।

उच्च शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह छात्रों को अधिक सार्थक और उत्पादक भूमिकाओं के लिए तैयार करने के साथ-साथ जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की पहचान है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए गोवा राज्य की प्रशंसा करते हुए श्री नायडू ने महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को राष्ट्रीय औसत 27.3% के मुकाबले 30% पर रखने के लिए राज्य की सराहना की। उच्च शिक्षा में पुरुष छात्रों की तुलना में अधिक संख्या में महिला छात्रों के लिए राज्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छा संकेत है और इसे अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा के रूप में काम आना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त की कि पेरनेम कॉलेज ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार प्रगति की है और आशा व्यक्त की कि कॉलेज में विस्तारित सुविधाओं से क्षेत्र के ग्रामीण छात्रों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कॉलेज की प्रशंसा की और संकाय और छात्रों को हमेशा गुणवत्ता के स्तर को ऊंचा रखने और अपने लिए चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए कहा।

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