विद्युत मंत्री श्री आर.के. सिंह ने इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग दिशा-निर्देशों एवं विनिर्देशों में संशोधनों को मंजूरी दी
संशोधित दिशा-निर्देशों से इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों की चिंताएं दूर हो जाएंगी : विद्युत मंत्री
शहरों में 3 किलोमीटर x 3 किलोमीटर के ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध होगा और राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन होगा
सभी मेगा सिटी और इनसे जुड़े एक्सप्रेसवे को प्रथम चरण में कवर किया जायेगा, अन्य बड़े शहरों को दूसरे चरण में इसके दायरे में लाया जाएगा
एक शहर से दूसरे शहर में भ्रमण के लिए प्रत्येक 100 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा
चार्जिंग अवसंरचना की स्थापना में आसानी के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो को केन्द्रीय प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया गया है
केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा कौशल विकास व उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर.के. सिंह ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने संबंधी एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग दिशा-निर्देशों एवं विनिर्देशों में संशोधनों को मंजूरी दे दी है। चार्जिंग अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधिाओं से जुड़े ये संशोधित दिशा-निर्देश एवं विनिवेश 14 दिसम्बर, 2018 को विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी पूर्ववर्ती दिशा-निर्देशों एवं मानकों का स्थान लेंगे।
विद्युत मंत्री ने इस निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि संशोधित दिशा-निर्देश पहले की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक उपभोक्ता अनुकूल हैं क्योंकि इनमें विभिन्न हितधारकों से प्राप्त कई सुझावों को शामिल किया गया है। विद्युत मंत्री ने कहा, ‘हमने नये दिशा-निर्देशों में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि संशोधित दिशा-निर्देशों से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए लोग प्रोत्साहित होंगे।
इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए इन दिशा-निर्देशों में देश भर में चार्जिंग अवसंरचना का एक समुचित नेटवर्क विभिन्न चरणों में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शहरों में 3 किलोमीटर x 3 किलोमीटर के ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन अवश्य ही उपलब्ध हो और इसके साथ ही राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हो। यह परिकल्पना की गई है कि प्रथम चरण (1-3 वर्ष) में 4 मिलियन से अधिक की आबादी वाली (जनगणना 2011 के अनुसार) सभी मेगा सिटी से जुड़े समस्त मौजूदा एक्सप्रेसवे और इनमें से प्रत्येक मेगा सिटी से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवर कर लिया जायेगा, जबकि दूसरे चरण (3-5 वर्ष) में बड़े शहरों जैसे कि राज्यों की राजधानियों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यालयों को कवर किया जा सकता है। इसके अलावा इनमें से प्रत्येक मेगा सिटी से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को भी इसके दायरे में लाया जा सकता है। एक शहर से दूसरे शहर में भ्रमण और भारी इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कि बसों/ट्रकों इत्यादि के लिए प्रत्येक 100 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा। इसके लिए राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन होगा।
यह मानते हुए कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ज्यादातर चार्जिंग घरों अथवा कार्यालयों में ही होगी और वहां ‘फॉस्ट या स्लो चार्जर’ का उपयोग करने का निर्णय उपभोक्ताओं पर निर्भर करेगा, अत: इस बारे में दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि आवास/कार्यालयों में निजी चार्जिंग की अनुमति दी जायेगी और विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) इसके लिए अनुमति दे सकती हैं।
विद्युत मंत्रालय के अधीनस्थ वैधानिक निकाय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) को केन्द्रीय प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
इस आशय का प्रावधान किया गया है कि घरेलू चार्जिंग दरअसल बिजली की घरेलू खपत जैसी ही होगी, अत: उसके लिए शुल्क दरें उसी के अनुसार होंगी। हालांकि, पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों (पीसीएस) के मामले में यह व्यवस्था की गई है कि पीसीएस को विद्युत आपूर्ति की शुल्क दर का निर्धारण उपयुक्त आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 3 के तहत जारी टैरिफ नीति के अनुसार किया जायेगा।
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