समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23जुलाई। भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री सीमा है। जाहिर सी बात है इस विशाल समुद्री सीमा की रक्षा के लिए बड़ी नौसेना की भी जरुरत है। लेकिन हाल-फिलहाल तक नौसेना के लिए जरुरी जहाज विदेश से मंगाने की परंपरा थी। जिसमें कीमती विदेशी मुद्रा खर्च होती थी। इसलिए पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय नौसेना के स्वदेशीकरण की मुहिम ने जोर पकड़ा।
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत बनकर तैयार हो चुका है। खबरों के मुताबिक इस बार के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसे नौसेना में शामिल किया जा सकता है। फिलहाल भारत के पास एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य है। विक्रांत के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। विक्रांत बिना रुके दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक की यात्रा कर सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 51.85 किलोमीटर प्रतिघंटा है। जबकि क्रूजिंग स्पीड 33 किलोमीटर प्रतिघंटा है। विक्रांत एक बार में 13890 किलोमीटर की यात्रा कर सकता है। जो कि दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के बराबर है।
अभी तक भारत के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर रूस से बनकर आता था। क्योंकि एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण में जबरदस्त इंजीनियरिंग कौशल की जरुरत पड़ती है। लेकिन भारत ने इस कठिन काम का बीड़ा उठाया और एयरक्राफ्ट कैरियर बना ही लिया।
विक्रांत समुद्र में तैरते हुए 18 मंजिला मकान की तरह है। इसके मुख्य ढांचे के निर्माण में 21 हजार टन स्टील की खपत हुई है। जिसमें 23 हजार करोड़ का खर्च आया है। इसका फ्लाइट डेक दो फुटबॉल मैदानों से भी ज्यादा बड़ा है। पूरे जहाज की लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर है।
विक्रांत के हैंगर एरिया में 30 लड़ाकू विमान या हेलिकॉप्टर रखे जा सकते हैं। विक्रांत के हैंगर से लड़ाकू विमानों को फ्लाइट डेक (उड़ान भरने और लैंड करने वाली सतह) तक लाने के लिए दो लिफ्ट बनाए गए हैं। इसे साल 2009 में बनाना शुरु किया गया था। इसमें 2300 से ज्यादा कंपार्टमेन्ट हैं। जिसमें 1700 नौसैनिकों को तैनात किया जा सकता है। इस पर महिला नौसैनिकों की सुविधा के लिए खास केबिन भी तैयार किए गए हैं।
शुरुआत में विक्रांत पर मिग-29 फायटर प्लेन की तैनाती होगी। इसके अलावा विक्रांत पर कोमोव-31 और MH-60R मल्टीरोल हेलिकॉप्टर भी तैनात किए जाने की योजना है। दरअसल भारतीय नौसेना के ज्यादातर लड़ाकू विमान INS विक्रमादित्य पर तैनात हैं। जिसकी वजह से विक्रांत पर लगाने के लिए लड़ाकू विमानों की कमी पड़ रही है। लेकिन जल्दी ही विक्रांत के लिए नए लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों का बेड़ा तैयार किया जाएगा।
विक्रांत पर तैनात करने के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग और राफेल बनाने वाली फ्रांस की कंपनी से निविदा मंगाई गई है। इन दोनों कंपनियों ने अपने लड़ाकू जहाजों का प्रदर्शन भी भारतीय नौसेना के गोवा बेस पर किया है। जल्दी ही इन दोनों कंपनियों में से किसी एक के जहाजों को खरीदकर विक्रांत पर तैनात कर दिया जाएगा।
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