श्री नवीन जिंदल द्वारा मतदान में आसानी का व्यावहारिक विचार: एक नीडोनॉमिक्स परिप्रेक्ष्य

प्रो. मदन मोहन गोयल संस्थापक, नीडोनॉमिक्स एवं पूर्व कुलपति (तीन बार)

लोकतंत्र केवल अपनी संस्थाओं की मजबूती पर नहीं, बल्कि नागरिकों की सक्रिय और स्वैच्छिक भागीदारी पर फलता-फूलता है। भारत-दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र में यह भागीदारी मुख्यतः चुनावों के दौरान दिखाई देती है। फिर भी, मतदाता मतदान प्रतिशत 60 से 70 प्रतिशत के बीच ही बना हुआ है, जो लोकतांत्रिक क्षमता और उसके व्यावहारिक स्वरूप के बीच एक अंतर को उजागर करता है। विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते राष्ट्र के लिए यह स्तर अपर्याप्त है और चुनाव प्रक्रिया को पुनः कल्पित और पुनः डिज़ाइन करने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।

इसी संदर्भ में, हाल ही में संसद में  श्री नवीन जिंदल द्वारा साझा किया गया यह विचार-ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस और ईज़ ऑफ़ लिविंग के अनुरूप ईज़ ऑफ़ वोटिंग”-समयानुकूल, दूरदर्शी और राष्ट्रीय महत्व का है। यह उसी आधुनिक भारत की आकांक्षा को प्रतिबिंबित करता है जहाँ सुविधा और दक्षता नागरिक सशक्तिकरण को मजबूत करती है। नीडोनॉमिक्स विचारधारा इस प्रस्ताव का पूर्ण समर्थन करती है और इसे भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए अनिवार्य मानती है।

लोकतंत्र और भागीदारी का संकट

लोकतंत्र की वैधता उसके नागरिकों की सामूहिक आवाज़ से आती है। जब बड़ी संख्या में लोग मतदान नहीं करते, तो लोकतांत्रिक जनादेश कम प्रतिनिधिक बन जाता है। भारत में यह एक विरोधाभास है—राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है, युवाओं की रुचि में वृद्धि हुई है, परंतु मतदान का व्यवहार उसी गति से नहीं बढ़ पाया।

कई बाधाएँ मतदान को कमज़ोर करती हैं:

  • शहरी प्रवासन और काम के कारण स्थानांतरण
  • प्रक्रियाओं को लेकर असुविधा की धारणा
  • लंबी कतारें और सीमित मतदान अवसंरचना
  • अपर्याप्त मतदाता शिक्षा
  • मौसम संबंधी कठिनाइयाँ
  • राजनीतिक वादों पर अविश्वास
  • वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए अपर्याप्त सुविधा

भारत के वास्तविक रूप से विकसित बनने के लिए मतदान प्रतिशत को 90 प्रतिशत के वैश्विक स्तर तक पहुँचाना आवश्यक है।

ईज़ ऑफ़ वोटिंगसमयानुकूल और परिवर्तनकारी सुधार

जिस तरह ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस और ईज़ ऑफ़ लिविंग ने आर्थिक संभावनाओं को खोला है, उसी प्रकार ईज़ ऑफ़ वोटिंग को अब राष्ट्रीय प्राथमिकता बनना चाहिए। व्यापारिक प्रक्रियाओं में सुधार के सिद्धांत—जटिलता कम करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और तकनीक का उपयोग—चुनावी भागीदारी को भी मजबूत कर सकते हैं।

इसके प्रमुख स्तंभ हैं:

  • सरल पंजीकरण और सत्यापन
  • अधिक व्यापक पहुंच और सुविधा
  • नैतिक और सुरक्षित तकनीकी उपयोग
  • स्थान की परवाह किए बिना हर नागरिक का सशक्तिकरण

मतदान को बोझ नहीं, बल्कि सम्मानजनक नागरिक अधिकार जैसा महसूस होना चाहिए।

ऑनलाइन वोटिंगडिजिटल प्लेटफॉर्म से सीख

भारतीय नागरिक नियमित रूप से इंडियन आइडल और बिग बॉस जैसे कार्यक्रमों में ऑनलाइन वोटिंग करते हैं। ये प्लेटफॉर्म अनेक महत्वपूर्ण सीख प्रदान करते हैं:

  • भारतीय डिजिटल रूप से आत्मविश्वासी और तैयार हैं।
  • 850 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता और सस्ती डेटा सेवाएँ डिजिटल भारत को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फैलाती हैं।
  • ऑनलाइन वोटिंग सहज और सुलभ है।
  • मनोरंजन प्लेटफॉर्म ने करोड़ों लोगों को आसान, तत्पर और उपयोगकर्ता-अनुकूल मतदान का अनुभव दिया है।

यदि ये प्लेटफॉर्म लाखों वोट संभाल सकते हैं, तो सरकार एक सुरक्षित प्रणाली अवश्य बना सकती है।

ऑनलाइन वोटिंग को पारंपरिक मतदान का विकल्प नहीं, बल्कि पूरक बनाना चाहिए—विशेषकर:

  • प्रवासी मजदूर
  • छात्र
  • यात्रा करने वाले पेशेवर
  • एनआरआई
  • वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांगजन

हाइब्रिड मॉडल लोकतांत्रिक पहुंच को व्यापक और विश्वास को मजबूत करेगा।

नीडोनॉमिक्स दृष्टिकोणमूल्य बढ़ानाअपव्यय घटाना

‘आवश्यकता, लालच नहीं’ के सिद्धांत पर आधारित नीडोनॉमिक्स ईज़ ऑफ़ वोटिंग की अवधारणा को नैतिक और आर्थिक शक्ति प्रदान करता है।

नीडोनॉमिक्स के अनुसार:

  • संसाधनों का उपयोग सार्थक सामाजिक आवश्यकता के लिए होना चाहिए।
  • लोकतंत्र का मूल्य अधिकतम भागीदारी से आता है।
  • मतदान अवसंरचना में निवेश एक राष्ट्रीय आवश्यकता है।
  • प्रक्रियाओं में अपव्यय न्यूनतम होना चाहिए—लंबी कतारें, खोए हुए कार्य घंटे और यात्रा खर्च समाज की अक्षमता के प्रतीक हैं।
  • सरलता नागरिकों को सशक्त बनाती है।
  • तकनीक का उपयोग नैतिक और सुरक्षित होना चाहिए।

इस प्रकार, ईज़ ऑफ़ वोटिंग नया भारत बनाने के लिए नैतिक, आर्थिक और मानवीय दृष्टि से अनिवार्य सुधार है।

ईज़ ऑफ़ वोटिंग लागू करने के लिए नीतिगत सुझाव

1. सुरक्षित ऑनलाइन वोटिंग ढांचा

  • आधार या डिजिलॉकर आधारित सत्यापन
  • ब्लॉकचेन आधारित पारदर्शिता
  • मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन
  • प्रवासियों और एनआरआई के लिए रिमोट वोटिंग

2. सशक्त मतदाता शिक्षा

  • राष्ट्रव्यापी नागरिक दायित्व अभियान
  • स्कूल–कॉलेज पाठ्यक्रम में चुनावी जागरूकता
  • युवाओं को लोकतंत्र दूत बनाना

3. लचीले और सुलभ मतदान विकल्प

  • प्रारंभिक मतदान
  • वरिष्ठ नागरिकों और PwDs के लिए घर से मतदान
  • दूरदराज क्षेत्रों में मोबाइल मतदान इकाइयाँ

4. सरल मतदाता पंजीकरण

  • एक बार का डिजिटल पंजीकरण
  • डेटाबेस एकीकरण द्वारा स्वचालित अपडेट
  • मोबाइल ऐप आधारित सेवाएँ

5. गैरआर्थिक प्रोत्साहन

  • मतदान भागीदारी प्रमाणपत्र
  • CSR आधारित जागरूकता अभियान
  • अधिक मतदान वाले क्षेत्रों को सामाजिक मान्यता

नीडोनॉमिक्स की कार्रवाई का आह्वान

निष्कर्षतः, भारत को विकसित भारत और सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरने के लिए, लोकतंत्र को निष्क्रिय भागीदारी से सक्रिय भागीदारी की ओर विकसित करना होगा। ईज़ ऑफ़ वोटिंग मात्र एक प्रक्रिया में सुधार नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है—डिजिटल इंडिया, समावेशी शासन और नीडोनॉमिक्स के सिद्धांतों के अनुरूप। एक ऐसा लोकतंत्र जहाँ मतदान सरल, सुलभ और सार्वभौमिक हो—वही सच्चे अर्थों में नैतिक शक्ति और सामूहिक जिम्मेदारी को दर्शाता है। जब भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, तो आवश्यक है कि हर नागरिक की आवाज़ विकसित भारत के निर्माण की सक्रिय शक्ति बने। ईज़ ऑफ़ वोटिंग केवल एक चुनावी सुधार नहीं-यह लोकतांत्रिक अनिवार्यता और देशभक्ति की जिम्मेदारी है। अब समय है कार्रवाई का।

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