समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अगस्त: लोकसभा चुनावों के बाद विपक्ष द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के दावों को “बे-बुनियाद” बताते हुए कहा कि बिना हलफ़नामा दाख़िल किए इन आरोपों की जाँच संभव नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि या तो राहुल गांधी सात दिन के भीतर माफ़ी माँगें या फिर सबूत पेश करें।
राहुल गांधी का बड़ा आरोप
7 अगस्त को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में भी मतदाता सूचियों से छेड़छाड़ की गई।
राहुल ने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां एक लाख से अधिक फर्जी वोट जोड़े गए, जिनमें डुप्लीकेट नाम, नकली पते और एक ही व्यक्ति की कई जगह एंट्री शामिल हैं।
उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए पूछा कि –
- आयोग बीजेपी के “एजेंट” की तरह क्यों काम कर रहा है?
- वोटिंग के वीडियो सबूत क्यों नष्ट किए गए?
- विपक्ष को मशीन-पढ़ने योग्य डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही?
- सवाल पूछने पर विपक्ष को धमकाया क्यों जा रहा है?
आयोग का जवाब
CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीतिक मक़सद से निशाना बनाया जा रहा है। उनके अनुसार, “वोट चोरी जैसे शब्द करोड़ों मतदाताओं और लाखों चुनाव कर्मियों की ईमानदारी पर हमला है।”
उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया नियमित रूप से होती है। बिहार में 2003 और 2025 दोनों बार यह प्रक्रिया “सफलतापूर्वक” हुई है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक को लेकर उठाए गए सवालों पर उन्होंने कहा कि जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होती है तो सभी राजनीतिक दलों को समय पर आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाता है। “नतीजों के बाद ही धांधली की बात उठाना राजनीतिक बयानबाज़ी से ज़्यादा कुछ नहीं है।”
विपक्ष का पलटवार
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि “हमें उम्मीद थी कि ज्ञानेश कुमार हमारे सवालों का जवाब देंगे, लेकिन वह बीजेपी प्रवक्ता की तरह बोले।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2025 के आदेशों को बिहार में एसआईआर प्रक्रिया में अक्षरशः लागू करेगा?
बड़ा राजनीतिक सवाल
वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ी का मामला अब सिर्फ़ राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुका है। इससे चुनाव आयोग की साख और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या राहुल गांधी सबूत देंगे या माफ़ी माँगेंगे, और क्या आयोग अपने ऊपर लगे आरोपों से जनता का भरोसा वापस जीत पाएगा।
Comments are closed.