समग्र समाचार सेवा
पटना, 4 जुलाई: बिहार में मतदाता सूची के रिव्यू को लेकर जहां विपक्ष पहले से चुनाव आयोग को घेर रहा था, वहीं अब सत्ता पक्ष की ओर से भी सवाल खड़े होने लगे हैं। आयोग की मैराथन प्रक्रिया को लेकर नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। आरोप लग रहे हैं कि बड़ी संख्या में लोगों के नाम सूची से हटने से वोट बैंक प्रभावित होगा।
25 जुलाई तक देना होगा एन्यूमरेशन फॉर्म
इस बीच आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 25 जुलाई तक मसौदा निर्वाचक नामावली में नाम दर्ज कराने के लिए एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करना जरूरी होगा। इस फॉर्म के जरिए उन लोगों के नाम हटाए जाएंगे जो या तो दिवंगत हो चुके हैं या फिर विधानसभा क्षेत्र छोड़कर पलायन कर गए हैं। इसके अलावा ऐसे लोग भी सूची से बाहर होंगे जो सामान्य निवासी नहीं हैं।
2 अगस्त से दावे और आपत्तियां
सूत्रों ने बताया कि 2 अगस्त को मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद सभी राजनीतिक दल और आम लोग दावे-आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। आयोग का मकसद सूची को पारदर्शी और अद्यतन रखना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के अनुसार यह अभियान समावेशन और आपत्तियों पर आधारित है। मसौदा सूची में हर नाम की जांच सलंग्न दस्तावेजों के आधार पर की जाएगी।
बीएलओ और स्वयंसेवक कर रहे निगरानी
विपक्ष का आरोप है कि पलायन कर चुके मजदूरों के नाम कटने से वे वोट देने के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। दूसरी ओर आयोग ने साफ किया है कि करीब एक लाख बीएलओ और उतने ही स्वयंसेवक इस काम में लगे हुए हैं। स्थानीय चुनाव आयुक्त लगातार अभियान की निगरानी कर रहे हैं। आयोग का दावा है कि तय वक्त में पूरी पारदर्शिता से प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
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