वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025: भारत में वक्फ संपत्ति प्रबंधन में ऐतिहासिक बदलाव

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अप्रैल।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर हस्ताक्षर कर उसे कानून का रूप दे दिया। यह अधिनियम वक्फ संपत्ति प्रबंधन और विनियमन में बड़े सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है। लोकसभा ने इस विधेयक को 3 अप्रैल को पारित किया था और राज्यसभा ने 4 अप्रैल को इसकी पुष्टि की थी। यह अधिनियम वक्फ अधिनियम, 1995 में व्यापक बदलाव करता है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को वक्फ प्रशासन में सुदृढ़ करना है।

वक्फ का अर्थ है ऐसी संपत्तियाँ जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों के लिए समर्पित होती हैं। 1995 में पारित वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड, केंद्रीय वक्फ परिषद, और विवाद निपटान न्यायाधिकरणों की स्थापना की गई थी ताकि इन संपत्तियों का संचालन किया जा सके।

1. नाम में बदलाव:
अब 1995 के अधिनियम को Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency, and Development Act के नाम से जाना जाएगा, जो वक्फ प्रशासन को और अधिक व्यावसायिक एवं प्रभावी बनाने की दिशा में संकेत करता है।

2. वक्फ घोषणा के लिए नए नियम:
अब केवल वे मुस्लिम व्यक्ति जो कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों और कानूनी रूप से संपत्ति के मालिक हों, वे ही वक्फ घोषित कर सकेंगे।
इसके साथ ही “लंबे समय से उपयोग के आधार पर वक्फ घोषणा” (waqf by long-term use) की धारणा को समाप्त कर दिया गया है।

3. पारिवारिक वक्फ पर प्रावधान:
वक्फ-अलाल-औलाद (पारिवारिक वक्फ) अब उत्तराधिकार अधिकारों, विशेषकर महिला वारिसों के अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकेगा।

4. वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कटौती:
अब वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को एकतरफा जांच कर वक्फ घोषित नहीं कर सकता। यह बदलाव फर्जी दावों और संपत्ति पर अतिक्रमण की समस्याओं को कम करेगा।

  • पहले सभी सदस्य मुस्लिम होने अनिवार्य थे। अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य भी परिषद में हो सकते हैं।

  • सांसद, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को धर्म के आधार पर सीमित नहीं किया गया है।

  • हालांकि इस्लामी विद्वानों, मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों और वक्फ बोर्ड प्रमुखों का मुस्लिम होना जरूरी होगा, जिनमें कम से कम दो मुस्लिम महिलाएं शामिल की जाएंगी।

  • केंद्र सरकार को पंजीकरण, वित्तीय रिटर्न, और कार्यवाही प्रकाशन के लिए नियम बनाने का अधिकार होगा।

  • ऑडिटिंग का कार्य अब महालेखाकार (CAG) या केंद्र द्वारा नियुक्त अधिकारी कर सकेंगे।

  • अब अलग-अलग सम्प्रदायों (जैसे आगाखानी और बोहरा) के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाए जा सकेंगे, जो अब तक केवल सुन्नी और शिया बोर्ड तक सीमित थे।

पहले वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश अंतिम माने जाते थे। अब इन आदेशों को 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, जिससे न्यायिक समीक्षा और न्याय सुनिश्चित हो सकेगा।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 भारत में इस्लामी धर्मार्थ ट्रस्टों के संचालन में एक बड़ा और साहसिक सुधार है। हालांकि इस कानून को लेकर धार्मिक स्वतंत्रता और राज्य की भूमिका पर विवाद उत्पन्न हुए हैं, इसके समर्थकों का कहना है कि यह आवश्यक बदलाव हैं जो पारदर्शिता बढ़ाएंगे, संपत्ति अधिकारों की रक्षा करेंगे, और वक्फ लाभों के न्यायपूर्ण वितरण को सुनिश्चित करेंगे।

यह अधिनियम भारतीय वक्फ प्रणाली को आधुनिक, समावेशी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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