समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली, 27 मई: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ अधिनियम 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही इस याचिका को 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है।
सीजेआई ने देरी पर जताई चिंता
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि 1995 के अधिनियम को अब क्यों चुनौती दी जा रही है। वकील ने जवाब दिया कि वे 2013 के संशोधन को भी चुनौती दे रहे हैं। इस पर सीजेआई ने कहा कि इन प्रावधानों को चुनौती दिए जाने में भी 12 साल हो गए हैं और देरी के कारण यह मामला खारिज भी किया जा सकता है।
वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही पूजा स्थल अधिनियम 1991 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
याचिकाकर्ता के तर्क
याचिकाकर्ता ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम 1995 की कई धाराओं की संवैधानिक वैधता को अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 और 27 के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का दावा है कि वक्फ अधिनियम केवल मुसलमानों के धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है, जबकि अन्य धर्मों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए यह अधिनियम भेदभावपूर्ण है और संविधान के समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रावधानों के खिलाफ है।
सुनवाई जारी है और अगली तारीख पर इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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