समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8अगस्त। बीजेपी सरकार ने लोकसभा में वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के लिए गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश कर दिया है। यह विधेयक राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित है।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हम हिंदू हैं लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के लिए विशेष है। पिछली बार भारत के लोगों ने स्पष्ट रूप से सरकार को सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह बिल संविधान पर मौलिक हमला है। इस बिल के जरिए वे यह प्रावधान डाल रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। यह धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। अगले आप ईसाईयों के लिए जाएंगे, फिर जैनों के लिए। भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे।”
डीएमके सांसद कनिमोझी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा, “यह अनुच्छेद 30 का सीधा उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को उनके संस्थानों का प्रबंधन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को लक्षित करता है।”
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक भारत के संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “यह विधेयक इस विधेयक को संसद में लाने की सरकार की विधायी क्षमता का भी उल्लंघन है क्योंकि संघ सूची में कोई प्रविष्टि नहीं है जो धार्मिक बंदोबस्ती से संबंधित है, इसलिए उन परिस्थितियों में, विधेयक शक्तियों के अत्यधिक प्रत्यायोजन की बीमारी से ग्रस्त है, जो संघीय ढांचे पर हमला है। विधेयक को वापस लेने की जरूरत है।”
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “ये बिल जो पेश किया जा रहा है वो बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है। अध्यक्ष महोदय, मैंने लॉबी में सुना है कि कुछ आपके अधिकार भी छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा। मैं इस बिल का विरोध करता हूं।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अखिलेश के दावों का जवाब देते हुए कहा, “अखिलेश जी, क्या आप सिर्फ गोलमोल की बात कर रहे हैं। आप नहीं हो स्पीकर के अधिकार के संरक्षक।”
समर्थन भी मिला
हज एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “हम इस संशोधन का स्वागत करते हैं क्योंकि यह अधिनियम काफी पुराना है। वर्तमान परिदृश्य के अनुसार, इसमें कुछ संशोधन किए जाने की जरूरत है। भारत सरकार ने एक बड़ी पहल की है और हम इसका स्वागत करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। कुछ संगठन और राजनीतिक दल अखिल भारतीय स्तर पर इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह महिला सशक्तिकरण के लिए अच्छा होगा और गरीब लोगों की मदद करेगा।”
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर देश की राजनीति में भारी हंगामा देखने को मिल रहा है। जहां एक तरफ बीजेपी सरकार इसे सुधारात्मक कदम के रूप में देख रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता और संघीय ढांचे पर हमला मान रहा है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विधेयक का भविष्य क्या होता है और यह किस तरह से भारत के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने को प्रभावित करेगा।
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