वक्फ संशोधन बिल: जेपीसी वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की सरकार की योजना का समर्थन कर सकती है

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,29 जनवरी।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में मंगलवार को महत्वपूर्ण प्रगति हुई। समिति ने बिल पर मसौदा रिपोर्ट पेश करते हुए कई संशोधनों के साथ इसे स्वीकार करने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि जेपीसी सरकार की उस योजना का समर्थन कर सकती है, जिसमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान है।

जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मंगलवार को समिति के सदस्यों के सामने 600 से अधिक पन्नों की मसौदा रिपोर्ट पेश की थी। हालांकि, विपक्षी दलों के सांसदों ने इस रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें इसका अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। बावजूद इसके, बुधवार को हुई बैठक में 11 के मुकाबले 14 मतों से वक्फ संशोधन विधेयक को स्वीकार कर लिया गया। विपक्षी सदस्यों को बुधवार शाम चार बजे तक असहमति नोट प्रस्तुत करने का समय दिया गया है।

जेपीसी पैनल का मानना है कि राज्य वक्फ बोर्डों का विस्तार कर उनमें दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने से वक्फ प्रबंधन में अधिक विविधता और पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही, शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम समुदायों को भी वक्फ बोर्ड में व्यापक प्रतिनिधित्व देने की सिफारिश की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, पैनल ने शिया मुस्लिमों के दो प्रमुख समुदायों—दाऊदी बोहरा और आगा खानी समुदाय—की इस दलील से सहमति जताई है कि उनकी एक विशिष्ट पहचान है और उनके साथ उसी के अनुसार व्यवहार किया जाना चाहिए।

जेपीसी की रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान संसद में पेश की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पैनल ने वक्फ अधिनियम का नाम बदलकर ‘इंटीग्रेटेड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड ग्रोथ एक्ट’ करने पर सहमति जताई है। समिति का मानना है कि नया नाम वक्फ प्रबंधन में उभरती प्राथमिकताओं और चुनौतियों को बेहतर ढंग से दर्शाएगा।

बैठक में विपक्षी दलों के सांसदों ने इस विधेयक को लेकर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि रिपोर्ट पर पूरी तरह से अध्ययन करने का अवसर नहीं मिला और सरकार इस विवादास्पद कानून को जल्दबाजी में लागू करना चाहती है। हालांकि, पैनल ने विपक्षी सांसदों द्वारा सुझाए गए सभी संशोधनों को खारिज कर दिया है।

सरकार का मानना है कि नए संशोधनों से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होगा कि किसी विशेष धार्मिक समूह का इस पर एकाधिकार न हो और इसे अधिक प्रभावी ढंग से संचालित किया जा सके।

जेपीसी की अंतिम रिपोर्ट को लेकर अब संसद में तीखी बहस होने की संभावना है, क्योंकि यह मुद्दा विभिन्न समुदायों के लिए संवेदनशील माना जा रहा है।

 

 

 

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