हम ‘अमृत काल’ में हैं, यह आशा और संभावनाओं का समय है – उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने उद्योग जगत की हस्तियों से शैक्षणिक संस्थानों को संभालने और लड़कियों की शिक्षा के लिए सीएसआर निधि से उदारतापूर्वक योगदान देने की, की अपील

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7फरवरी।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कॉरपोरेट और उद्योग जगत की हस्तियों से देश के शैक्षणिक संस्थानों, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा में लगे संस्थानों को उदारतापूर्वक संभालने का आग्रह किया।

इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज के शताब्दी समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने शैक्षणिक संस्थानों में कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) निधि से योगदान दिये जाने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें इस मुद्दे के बारे में उद्योग के साथ बातचीत करने में खुशी होगी।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने छात्रों को लोकतंत्र में सबसे बड़ा हितधारक बताया। उन्होंने उपस्थित लड़कियों को आकांक्षी बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि इसके लिए एक इकोसिस्टम का पहले ही निर्माण किया जा चुका है जहां वे अपनी प्रतिभा का पूरी तरह उपयोग कर सकती हैं और अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “यह आपके लिए कुछ बड़ा और उस तरह से सोचने का समय है जैसा आप सोचना चाहते हैं।”

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि प्रभावी शासन के परिणामस्वरूप, महिला सशक्तिकरण ने हमारी लड़कियों को भारत@2047 की मैराथन में प्रमुख भागीदार बनने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा, “आप भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमारी यात्रा का प्रभावशाली ढंग से नेतृत्व करेंगी। आप इसे राष्ट्रों के समुदाय के बीच शिखर पर ले जाएंगे।”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने शिक्षा को सबसे प्रभावशाली परिवर्तन करने वाला तंत्र बताते हुए कहा कि शिक्षा ही वह परिवर्तन है जो समाज में समानता ला सकता है। लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “बालिका शिक्षा एक क्रांति है, लड़कियों की शिक्षा एक युग बदल रही है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि ‘अमृत काल’ आशा और अपार संभावनाओं का समय है। उन्होंने कहा, “भारत पहले से ही एक वैश्विक अर्थव्यवस्था है और निवेश तथा इसके अवसरों के लिए पसंदीदा स्थान है, हमारी प्रगति बेजोड़ है और दुनिया हमारी ओर देख रही है।”

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने छात्रों से यह भी आग्रह किया कि वे कभी भी असफलता से न घबराएं। उन्होंने कहा, “असफलता का डर विकास का हत्यारा है, विफलता का डर नवाचार का हत्यारा है, प्रत्येक विफलता को एक सीढ़ी के रूप में लिया जाना चाहिए।”

‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और एलपीजी कनेक्शन के वितरण जैसी अभी हाल की पहलों का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “इस सदी में हमारे पास एक निर्णायक क्षण है। लड़कियां भारत के विकास को परिभाषित कर रही हैं!”

उपराष्ट्रपति ने उपस्थित छात्रों से गौरवान्वित भारतीय होने, भारत का सम्मान करने और राष्ट्र की अभूतपूर्व प्रगति में विश्वास करने का भी आग्रह किया। उन्होंने आर्थिक राष्ट्रवाद का अनुसरण करने, ‘स्वदेशी’ के विचार को अपनाने और ‘लोकल के लिए वोकल’ बनने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम, कॉलेज के संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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