‘भारत से पहले अफगानिस्तान से निपटने की जरूरत…’ – पाकिस्तान में मचा सियासी भूचाल, मौलाना फजलुर रहमान के बयान से खौफ!
समग्र समाचार सेवा
दिल्ली 2 मई 2025: पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। विपक्षी नेता और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने ऐसा बयान दे डाला है जिसने ना सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि सेना के गलियारों में भी खलबली मचा दी है। मौलाना ने कहा,
“भारत से पहले हमें अफगानिस्तान से निपटना होगा, क्योंकि खतरा वहां से ज्यादा बड़ा है!”
ये बयान पाकिस्तान की पारंपरिक रणनीतिक सोच को सीधी चुनौती देने जैसा माना जा रहा है, जिसमें दशकों से भारत को ‘सबसे बड़ा दुश्मन’ बताया जाता रहा है।
फजलुर रहमान ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान की अफगान सरकार और उससे जुड़े आतंकी संगठनों को निशाना बनाते हुए कहा:
“हम अपनी आंखें मूंदे बैठे हैं, जबकि असली बारूद हमारे घर के पीछे रखा है। भारत तो एक रणनीतिक विरोधी है, लेकिन अफगानिस्तान से आने वाला खतरा तो हमारे वजूद को हिला सकता है!”
उनका इशारा था पाकिस्तान के अंदर बढ़ते आतंकी हमलों की ओर, जिनमें TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) की संलिप्तता मानी जा रही है।
इस बयान ने इमरान खान की पार्टी (PTI) और सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। PML-N के प्रवक्ताओं ने इस बयान को “राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ” बताया है, जबकि सेना की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है—but सूत्रों के अनुसार GHQ (रावलपिंडी) में इस बयान को लेकर आपात बैठक बुलाई गई।
अब तक पाकिस्तान की नीतियों का केंद्र बिंदु भारत विरोध रहा है। लेकिन फजलुर रहमान के बयान ने इस नैरेटिव को सीधी टक्कर दी है। उन्होंने सवाल उठाया:
“जब घर के अंदर आग लगी हो, तो बाहर दुश्मन ढूंढने का क्या फायदा?”
यह बयान दर्शाता है कि पाकिस्तान की अंदरूनी सुरक्षा व्यवस्था किस हद तक चरमरा चुकी है।
देश के कई प्रमुख समाचार चैनलों ने इस बयान को “पाकिस्तान की विदेश नीति पर सीधा हमला” करार दिया है। कुछ ने इसे देशद्रोह से जोड़ने की भी मांग कर दी है। वहीं, सोशल मीडिया पर मौलाना के समर्थकों ने उनके साहस की तारीफ करते हुए लिखा,
“किसी ने तो सच बोला!”
भारत के कूटनीतिक हलकों में भी इस बयान को बड़े ध्यान से देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह बयान पाकिस्तान के अंदर चल रही सच्चाई को उजागर करता है—कि असली खतरा उसके अपने ही बनाए गए ‘संपर्कों’ से है, जो अब बेकाबू हो चुके हैं।
मौलाना फजलुर रहमान के बयान ने पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य सोच को आइना दिखा दिया है। जिस देश ने वर्षों तक भारत को दुश्मन बताकर अपनी नाकामियों को छुपाया, अब वही देश खुद यह स्वीकार करने लगा है कि सबसे बड़ा खतरा कहीं और है। सवाल यह है—क्या पाकिस्तान अब अपनी नीतियों की समीक्षा करेगा, या फिर सच बोलने वालों को चुप कराने की कोशिश करेगा?
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