समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 अप्रैल। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन द्वारा प्रस्तावित 50 अरब डॉलर के हथियार सौदे को खारिज कर दिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर चौंकाने वाली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जर्मन समाचार पत्र बिल्ड के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, यह प्रस्ताव यूरोपीय संघ की वित्तीय सहायता और रूस की जब्त संपत्तियों से प्राप्त फंड के आधार पर रखा गया था। परंतु ट्रंप ने स्पष्ट रूप से हथियारों के व्यापार की बजाय शांति वार्ता को प्राथमिकता देने की बात कही है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने यह सौदा कीव के लिए एक “जीवन रेखा” बताया था। इस प्रस्ताव में अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल सिस्टम सहित अत्याधुनिक हथियार शामिल थे, जिनका उद्देश्य रूस के हमलों से रक्षा करना और यूक्रेन की वायु सुरक्षा को मजबूत बनाना था।
लेकिन ट्रंप—जो विदेश नीति में अपने असामान्य रुख के लिए जाने जाते हैं—ने संकेत दिया है कि यदि वे 2025 में पुनः सत्ता में आते हैं, तो उनका रुख इस संघर्ष को और बढ़ाने की बजाय शांति स्थापित करने का होगा। बिल्ड द्वारा उद्धृत सूत्रों के अनुसार, ट्रंप “इस युद्ध को हथियारों से नहीं, बातचीत से खत्म करना चाहते हैं।” उन्होंने पहले भी दावा किया था कि वह सत्ता में आने के 24 घंटे के भीतर इस युद्ध को समाप्त कर सकते हैं।
यह निर्णय वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीति से एक बड़ा विचलन दर्शाता है। बाइडेन प्रशासन ने 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक यूक्रेन को 75 अरब डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता दी है। ट्रंप हालांकि, लंबे समय से अमेरिका की विदेशी युद्धों में भागीदारी के आलोचक रहे हैं और इसे अमेरिका की आंतरिक प्राथमिकताओं से ध्यान भटकाने वाला बताते हैं।
इस प्रस्ताव में शामिल धनराशि यूरोपीय संघ द्वारा स्वीकृत सहायता और रूस के केंद्रीय बैंक की जब्त संपत्तियों से आ रही थी, जिन पर कानूनी और राजनीतिक बहस जारी है। ब्रसेल्स और बर्लिन जैसे शहरों में यूरोपीय नेता इन फंड्स को यूक्रेन की सहायता में लगाने के पक्ष में हैं, लेकिन ट्रंप ने इन आर्थिक प्रलोभनों को नजरअंदाज कर दिया।
ट्रंप के करीबी सूत्र के अनुसार, “शांति ही सबसे अच्छा सौदा है। ट्रंप मानते हैं कि बातचीत ही आगे का रास्ता है, न कि युद्ध का विस्तार।”
ट्रंप के इस फैसले ने वॉशिंगटन और यूरोप दोनों में बहस छेड़ दी है। आलोचकों का मानना है कि यह कदम रूस को और आक्रामक बना सकता है और यूक्रेन की सैन्य स्थिति को कमजोर कर सकता है। वहीं कुछ विश्लेषक इसे संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की एक साहसिक, albeit जोखिमपूर्ण, कोशिश मानते हैं।
एक बात तो स्पष्ट है—ट्रंप की इस प्रतिक्रिया ने यूक्रेन को लेकर पश्चिमी दुनिया की रणनीति में नया अनिश्चितता का तत्व जोड़ दिया है। जैसे-जैसे अमेरिका में 2024 के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ट्रंप की विदेश नीति वैश्विक सुरक्षा बहस के केंद्र में आ सकती है।
अब जबकि कीव अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रहा है और पश्चिमी देश अपने विकल्प तौल रहे हैं, यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो गया है: क्या अमेरिका का अगला कदम धन और हथियारों पर आधारित होगा, या फिर ट्रंप की अनपेक्षित लेकिन निर्णायक शैली पर?
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