गंगा विलास क्रूज फंस गया तो क्या होगा? यहां जानें कैसे निकाले जाते हैं पानी के विशालकाय जहाज

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18जनवरी। नई दिल्ली: देश का पहला हाई लग्जरी क्रूज गंगा विलास अपनी पहली यात्रा के तीसरे दिन ही फंस गया। वाराणसी से चला गंगा विलास क्रूज बिहार के छपरा पहुंचा। क्रूज को शेड्यूल के मुताबिक यहां किनारे लगना था, लेकिन उथला पानी होने के कारण वह फंस गया। शेड्यूल के हिसाब से सैलानियों को छपरा से 11 किमी दूर डोरीगंज बाजार के पास चिरांद के पुरातात्विक स्थलों का दौरा करना था। इसके लिए तय रूट से क्रूज छपरा पहुंचा, लेकिन वहां गंगा नदी में पानी बिल्कुल उथला होने के कारण उसे आगे बढ़ने में परेशानी होने लगी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या इतना बड़े क्रूज का रूट तय करते वक्त यह पता नहीं किया गया था कि कहीं, किसी क्षेत्र में नदी की गहराई इतनी कम तो नहीं कि क्रूज फंस जाए? खैर, पता किया गया था या नहीं, इससे बड़ा सवाल अब यह हो गया है कि गंगा विलास अगर नदी में फंस जाए तो फिर क्या होगा? यानी उसे कैसे निकाला जाएगा?

वर्ष 2021 में पानी के विशालकाय जहाज के फंसने की एक खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। चीन से माल लादकर मंजिल की ओर बढ़ा जहाज 23 मार्च 2021 को स्वेज नहर में फंस गया था। उस जहाज के चालक दल में 25 से ज्यादा भारतीय शामिल थे, इसलिए भारत का इस पर खास ध्यान था। एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाले ‘द एवर गिवन’ पर पानामा का झंडा लगा था जिससे स्वेज नहर में पोतों की आवाजाही बाधित हो गई थी। उसे निकालने के कठिन प्रयास हुए, तब भी सप्ताह भर तक जहाज फंसा ही रह गया। आखिरकार 30 मार्च को उसे खींचकर किनारे पहुंचाने में सफलता मिली।

-गंगा विलास रिवर क्रूज की शुरुआत 2020 में होनी थी मगर कोविड आ गया। आखिरकार 13 जनवरी 2023 से इसका सफर शुरू हुआ। पहली ट्रिप में गंगा विलास क्रूज पर 32 टूरिस्‍ट सवार होंगे। ये सभी स्विट्जरलैंड से आए हैं। भारत में बना यह रिवर क्रूज 62 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा है। क्रूज पर तीन डेक और 18 सुइट्स हैं। हर सुइट का साइज 360-380 वर्गफीट है।

-अगले 51 दिनों में गंगा विलास क्रूज भारत के पांच राज्‍यों और बांग्‍लादेश से होकर गुजरेगा। वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच यह करीब 3,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। भारत और बांग्‍लादेश के बीच इनलैंड वाटर ट्रांजिट और ट्रेड प्रोटोकॉल है जिसके तहत इनलैंड जहाज कुछ तय रूट्स के जरिए दूसरे देश से गुजर सकते हैं।

MV गंगा विलास की यात्रा वाराणसी के घाट पर ‘गंगा आरती’ से शुरू होगी। इसके बाद यह सारनाथ की ओर बढ़ेगा। करीब 50 टूरिस्‍ट स्‍पॉट्स तय किए गए हैं जहां यह क्रूज जाएगा। इनमें सुंदरबन के जंगलों से लेकर काजीरंगा नैशनल पार्क तक शामिल हैं। पटना, साहिबगंज, कोलकाता, ढाका और गुवाहाटी जैसे बड़े शहरों में भी इसके स्‍टॉपेज होंगे।

-गंगा विलास क्रूज पर आलीशान सुविधाएं मिलेंगी। इसमें ओपन स्‍पेस, बालकनी, 40 सीटर रेस्टोरेंट रूम और स्‍टडी रूम, डायनिंग रूम, सी एंटरटेनमेंट रूम, सन डेक, लाउंज बार, स्‍पा एंड फिटनेस सेंटर भी है।

-गंगा विलास क्रूज की यात्रा शाही है और उसका किराया भी। 51 दिन की ट्रिप का किराया 15,300 डॉलर या करीब 13 लाख रुपये है। यानी एक रात के लिए करीब 25,000 रुपये चुकाने होंगे। टिकट के दाम भारतीय और विदेशियों, दोनों के लिए एक ही हैं।

बनारस से डिब्रूगढ़ तक की यात्रा का प्रति यात्री खर्च 13 लाख रुपये है।कोलकाता से बनारस तक के 12 दिन की यात्रा का पैकेज 4 लाख 37 हजार रुपये है।चार दिन के इनक्रेडिबल बनारस पैकेज की कीमत 1 लाख 12 हजार रुपए है।

जान लें कैसे निकला था द एवर गिवन
सवाल है कि आखिर इतने बड़े फंसे जहाज को किनारे तक कैसे खींचा गया? स्वेज नहर में सेवाएं देने वाली एक कंपनी ‘लेथ एजेंसीज’ ने बताया था कि फंसे हुए पोत को निकालने के लिए 13 टगबोट की मदद ली गई थी। विशेषज्ञों टीम ने इन्हीं 13 टगबोटों के जरिए द एवर गिवन को किनारे खींच लाया। ध्यान रहे कि टगबोट छोटी लेकिन काफी शक्तिशाली नावें होती हैं जो बड़े जहाजों को खींचकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती हैं। टगबोटों का काम जहाज को खींचना है, लेकिन नीचे से बालू-मिट्टी को हटाने का काम ड्रेजर करते हैं। इसीलिए, स्वेज नहर में तब ड्रेजर भी बुलाए गए थे जिन्होंने जहाज के सिरों के नीचे से 30 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत खोदकर निकाली।

फिर जहाज को हल्का करने के लिए उससे कुछ माल उतारने की भी योजना बनी, लेकिन ऊंची लहरों ने टगबोट और ड्रेजर की उनके काम में मदद की और पहले जहाज के पिछले हिस्से ‘स्टर्न’ को निकाला गया, फिर तिरछे होकर फंसे इस विशाल जहाज को काफी हद तक सीधा किया जा सका। इसके कुछ घंटों बाद जहाज के अगले हिस्से ‘बो’ को भी निकाला गया। हालांकि, गंगा विलास मालवाहक नहीं पर्यटक जहाज है, इसलिए इसे हल्का करने के लिए लोगों को उतारने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी।

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