जब कांग्रेसियों ने रामपुर के शासक को सौंपा था गांधी जी की अस्थियां……

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,19 अगस्त। 30 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या हुई 31जनवरी 1948 दिल्ली में यमुना नदी पर दाहसंस्कार किया गया था परन्तु अस्थिओं का विसर्जन नहीं हुआ कांग्रेसियों ने उन अस्थिओं को रामपुर के शासक (नबाब रजा अली खां) को सौंप दिया। रजा अली उन अस्थिओं को 11 फरवरी 1948 को स्पेशल ट्रेन से रामपुर ले गया अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने के बजाय मुस्लिम तरीके से चांदी की सुराही में भरकर मुस्लिम तरीके से दफन कर मजार बना दी,और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया क्योंकि उस समय तक रामपुर रियासत का विलय भारत में नहीं हुआ था सालों बाद उसे गांधी स्मारक घोषित कर दिया आजादी के बाद 30 जून 1949 को रामपुर रियासत सरदार पटेल की सख्ती के कारण भारत में विलय हो गया।

कांग्रेसियों ने देश से छिपाई गांधी की असलियत))राजघाट दिल्ली में जो बना है वह है (गांधी स्मारक) और रामपुर (उत्तर प्रदेश) में जो बना है वह है गांधी की मजार (कब्र) बापू की अस्थियों को लेकर बहस छिड़ी थी कि गांधी हिंदू हैं. इसलिए उनकी अस्थियों का विसर्जन भी हिंदू ही करेंगे परन्तु कांग्रेसियों और रामपुर के नबाब रजा अली खां जानते थे कि बापू इस्माईली मुसलमान हैं अत: दिल्ली में रामपुर के नवाब रजा अली और दरबारी कांग्रेसियों की मिटिंग हुई जिसमें निर्णय हुआ कि बापू की अस्थियां नवाब रजा अली खान को दे दी जायें नवाब रजा अली गांधी परिवार से अस्थियाँ स्पेशल ट्रेन से रामपुर ले गया और अस्थियों को चांदी की सुराही में भरकर मुस्लिम तरीके से दफनाकर गांधी की मजार बना दी।

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