समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27जुलाई। राष्ट्रपति ने प्रश्न किया, ”इस खिलाड़ी को पुराने बर्तनों में चावल क्यों परोसा गया, क्या हमारा देश इतना गरीब है कि एक लड़की के लिए बर्तन कम पड़ गए, या फिर इससे भेदभाव किया जा रहा है, यह अछूत है क्या ?”
”नहीं महामहिम ऐसी बात नहीं है,” उसे खाना परोस रहे लोगों से जवाब मिला, ” इसका नाम मीराबाई है। यह जिस भी देश में जाती है, वहाँ अपने देश भारत के चावल ले जाती है। यह विदेश में जहाँ भी होती है, भारत के ही चावल उबालकर खाती है। यहाँ भी ये चावल खुद ही अपने कमरे से उबालकर लाई है।”
”ऐसा क्यों ?” राष्ट्रपति ने मीराबाई की ओर देखते हुए उससे पूछा।
”महामहिम, मेरे देश का अन्न खाने के लिए देवता भी तरसते हैं, इसलिए मैं अपने ही देश का अन्न खाती हूँ।”
”ओह् बहुत देशभक्त हो तुम, जिस गांव में तुम्हारा जन्म हुआ, भारत में जाकर उस गांव के एकबार अवश्य दर्शन करूंगा।” राष्ट्रपति बोले।
”महामहिम इसके लिए मेरे गांव में जाने की क्या जरूरत है ?”
”क्यों ?”
”मेरा गांव मेरे साथ है, मैं उसके दर्शन यहीं करा देती हूँ।”
”अच्छा कराइए दर्शन!” कहते हुए उस मूर्ख लड़की की बात पर हंस पड़े राष्ट्रपति।
मीराबाई अपने साथ हैंडबैग लिए हुए थी, उसने उसमें से एक पोटली खोली, फिर उसे पहले खुद माथे से लगाया फिर राष्ट्रपति की ओर करते हुए बोली, ”यह रहा मेरा पावन गांव और महान देश।”
”यह क्या है ?” राष्ट्रपति पोटली देखते हुए बोले, ”इसमें तो मिट्टी है ?”
”हाँ यह मेरे गांव की पावन मिट्टी है। इसमें मेरे देश के देशभक्तों का लहू मिला हुआ है, इसलिए यह मिट्टी नहीं, मेरा सम्पूर्ण भारत हैं…”
”ऐसी शिक्षा तुमने किस विश्वविद्यालय से पाई चानू ?”
”महामहिम ऐसी शिक्षा विश्वविद्यालय में नहीं दी जाती, ऐसी शिक्षा तो गुरु के चरणों में मिलती है, मुझे आर्य समाज में हवन करने वाले बाबा से यह शिक्षा मिली है, मैं उन्हें सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर सुनाती थी, उसी से मुझे देशभक्ति की प्रेरणा मिली।”
”सत्यार्थ प्रकाश ?”
”हाँ, सत्यार्थ प्रकाश,” चानू ने अपने हैंडबैग से सत्यार्थ प्रकाश की प्रति निकाली और राष्ट्रपति को थमा दी, ”आप रख लीजिए मैं हवन करने वाले बाबा से और ले लूंगी।”
”कल गोल्डमैडल तुम्हीं जीतोगी,” राष्ट्रपति आगे बोले, ”मैंने पढ़ा है कि तुम्हारे भगवान हनुमानजी ने पहाड़ हाथों पर उठा लिया था, लेकिन कल यदि तुम्हारे मुकाबले हनुमानजी भी आ जाएँ तो भी तुम ही जीतोगी… तुम्हारा भगवान भी हार जाएगा, तुम्हारे सामने कल।”
राष्ट्रपति ने वह किताब एक अधिकारी को देते फिर आदेश दिया, ”इस किताब को अनुसंधान के लिए भेज दो कि इसमें क्या है, जिसे पढ़ने के बाद इस लड़की में इतनी देशभक्ति उबाल मारने लगी कि अपनी ही धरती के चावल लाकर हमारे सबसे बड़े होटल में उबालकर खाने लगी।”
चानू चावल खा चुकी थी, उसमें एक चावल कहीं लगा रह गया, तो राष्ट्रपति ने उसकी प्लेट से वह चावल का दाना उठाया और मुँह में डालकर उठकर चलते बने।
”बस मुख से यही निकला, ”यकीनन कल का गोल्ड मैडल यही लड़की जितेगी, देवभूमि का अन्न खाती है यह।”
और अगले दिन मीराबाई ने स्वर्ण पदक जीत ही लिया, लेकिन किसी को इस पर आश्चर्य नहीं था, सिवाय भारत की जनता के…
अमेरिका तो पहले ही जान चुका था कि वह जीतेगी, बीबीसी जीतने से पहले ही लीड़ खबर बना चुका था।
जीतते ही बीबीसी पाठकों के सामने था, जबकि भारतीय मीडिया अभी तक लीड खबर आने का इंतजार कर रही थी।
इसके बाद चानू ने 196 किग्रा, जिसमे 86 kg स्नैच में तथा 110 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क में था, का वजन उठाकर भारत को 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
इसके साथ ही उन्होंने 48 किग्रा श्रेणी का राष्ट्रमण्डल खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीतने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ₹15 लाख की नकद धनराशि देने की घोषणा की।
2018 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
यह पुरस्कार मिलने पर मीराबाई ने सबसे पहले अपने घर के लिए एक बैलगाड़ी खरीदी और बाबा के मन्दिर को पक्का करने के लिए एक लाख रुपए उन्हें गुरु दक्षिणा में दिए।
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