अंजलि के शव की फोटो किस अफसर ने लीक की ? पुलिस का अमानवीय चेहरा उजागर

इंद्र वशिष्ठ
अंजलि हत्याकांड में दिल्ली पुलिस ने एक बहुत ही शर्मनाक हरकत की है. दिल्ली पुलिस का अमानवीय चेहरा उजागर करने वाली यह हरकत अक्षम्य अपराध है. यह संवेदनहीन कृत्य पुलिस अफसरों की पेशेवर काबलियत/ इंसानियत पर भी सवालिया निशान लगा देता है. इस अमानवीय हरकत ने पुलिस के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दावे की भी पोल खोल दी है.
कमिश्नर जांच करें-
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा का यह कर्तव्य है कि वह जांच करा कर पता लगाएं कि यह अमानवीय और शर्मनाक हरकत किस पुलिस अफसर ने की है.
अंजलि हत्याकांड की जांच से जुड़े कंझावला और सुलतान पुरी थानों के पुलिस कर्मियों और दोनों जिलों के अफसरों के मोबाइल फोन के रिकार्ड से यह पता लग सकता है कि शव की फोटो किस-किस के पास थी और उन्होंने वह किन-किन लोगों को शेयर की.
अंजलि के शव की नग्न फोटो और वीडियो को लीक करना एक बहुत ही शर्मनाक अपराध है.
फोटो किसने लीक की ?
अंजलि के शव की फोटो किसने लीक की हैं? इसका सीधा साधा जवाब तो यह है कि पुलिस के अलावा भला यह फोटो कौन लीक कर सकता हैं. क्योंकि पुलिस ने ही शव की फोटो ली थी और फोटो उसके कब्जे में ही थी. लेकिन किस अफसर ने लीक की, उसका पता तो जांच से ही चल सकता है.
इस मामले की जांच से जुड़े स्पेशल कमिश्नर स्तर के पुलिस अफसर भी यह मानते हैं कि फोटो लीक नहीं होनी चाहिए थी.
रोहिणी जिले की पुलिस ने फोटो ली-
कंझावला इलाके में एक जनवरी की तड़के चार बज कर 11 मिनट पर युवती का नग्न शव सड़क पर पड़ा होने की सूचना रोहिणी जिले की पुलिस को मिली थी.
एक जनवरी को ही बाहरी जिले के डीसीपी हरेन्द्र कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि सूचना मिलने पर रोहिणी जिले की पुलिस और क्राइम टीम मौके पर गई. पुलिस ने विभिन्न कोणों से शव की तस्वीर ली. इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि रोहिणी जिले की पुलिस ने शव की तस्वीरें ली थी.
शव पीठ के बल पड़ा हुआ था. पुलिस ने ही शव को पेट के बल लिटाया तो युवती की दर्दनाक मौत का पता चला. सड़क पर घिसटने से युवती के सिर से लेकर कमर तक के भाग से मांस यानी चमड़ी उतर चुकी थी.

युवती की यह फोटो जांच से जुड़े पुलिस अफसरों के अलावा अन्य पुलिस वालों आदि तक भी कैसे पहुंच गई ?.
नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक पुलिस अफसर ने इस पत्रकार को फोटो दिखाई और बताया कि पुलिसकर्मियों आदि में यह फोटो वायरल है. यह वहीं फोटो थी जो जांच से जुड़े एक स्पेशल कमिश्नर ने भी इस पत्रकार को दिखाई थी. इससे ही यह पता चलता है कि फोटो लीक/वायरल हो गई है.

जाहिर सी बात है कि यह फोटो रोहिणी जिले की पुलिस ने ही इस मामले की जांच करने वाली बाहरी जिले की सुल्तान पुरी पुलिस को भी दी होगी.
फोटो रोहिणी जिले की पुलिस ने लीक की हैं या बाहरी जिले की पुलिस ने, यह तो जांच से ही पता चल सकता है
लेकिन जिसने भी लीक की हैं उसने बहुत ही अमानवीय कार्य किया है.
किसी के शव का और खासकर युवती के नग्न शव की फोटो को लीक किया जाना बहुत ही शर्मनाक तो है ही, कानून के तहत यह अपराध भी है.यह मृतक का अनादर/बेइज्जती करना भी है.
नग्न शव की तस्वीर को लीक करना युवती की गरिमा/ इज़्ज़त से खिलवाड़ करना है.

दो डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान-
अंजलि हत्याकांड में दो डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान लगाने वाले प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं.
डीसीपी गुरइकबाल सिंह-
रोहिणी जिले के डीसीपी गुर गुरइकबाल सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस ने समय पर दीपक दहिया द्वारा सूचना दिए जाने के बाद भी कार सवारों को मौके पर रंगेहाथ नहीं पकड़ा. जबकि डीसीपी का दावा है कि वह खुद भी तड़के उस दौरान जिले में ही थे.
कार सवार आरोपियों को पुलिस यदि युवती के शव सहित मौके पर रंगे हाथों पकड़ लेती तो पुलिस का केस सबूतों के लिहाज़ से बहुत पुख्ता होता. जिससे आरोपियों को सज़ा मिलने की पूरी संभावना होती. आरोपियों की बाद में गिरफ्तारी से पुलिस का केस अब उतना पुख्ता नहीं है.
डीसीपी हरेन्द्र सिंह का कानूनी ज्ञान-
बाहरी जिले के डीसीपी हरेन्द्र कुमार सिंह ने
इस सिलसिले में जानलेवा दुर्घटना का मामला धारा 279/304 ए में दर्ज किया. हल्की धारा में तो मामला दर्ज किया ही गया, इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. जबकि इस धारा के तहत तो एक ही व्यक्ति यानी कार चालक की ही गिरफ्तारी बनती थी.
डीसीपी हरेन्द्र सिंह द्वारा कानून की अपने तरीके से व्याख्या करना / लागू करना और पांच लोगों को धारा 304 ए में गिरफ्तार करना उनकी काबलियत पर सवालिया निशान तो लगाता ही है.
इसका फ़ायदा अदालत में आरोपी उठा सकते हैं. हालांकि बाद में पुलिस ने किरकिरी होने पर गैर इरादतन हत्या की धारा 304 जोड़ दी.
तफ्तीश का आलम-
पुलिस की तफ्तीश का आलम यह है पुलिस को चार-पांच दिन बाद पता चला कि जिस दीपक को उसने दुर्घटना के समय कार चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है वह दीपक तो कार में था ही नहीं. दीपक तो अपने घर में था.
पुलिस की गैर पेशेवर तरीके से की गई तफ्तीश के कारण ही आरोपियों को सज़ा नही हो पाती है.

डीसीपी को हटा दिया था –
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर अजय राज शर्मा ने मध्य जिले के तत्कालीन डीसीपी मुक्तेश्वर चंद्र को जिले के डीसीपी के पद हटा दिया था क्योंकि वह बलात्कार पीड़िता विदेशी युवतियों को प्रेस कांफ्रेंस में ही ले आए थे. जबकि बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती.

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