15 अगस्त पर भाषण देते वक्त पीएम मोदी ने जनता से की अपील, नारी शक्ति को बढ़ावा देने का मांग वादा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15अगस्त। 15 अगस्त के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से एक ऐसी बात को देश के सामने उठाया है. जो हर देशवासी के मन में काटों की तरह अटकी हुई थी. पीएम मोदी ने कहा कि मेरे भीतर एक दर्द है और उस दर्द को मैं देश के सामने कहना चाहता हूँ. दरअसल बीते सालों में देश के अंदर महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में बढ़ोतरी हुई थी. बलात्कार, महिला उत्पीड़न और घरेलू हिंसा की घटनाएं काफी ज्यादा मात्रा में दर्ज की जा रही है. ऐसे में पीएम मोदी ने नारी शक्ति को बढ़ावा देने का वायदा देश से मांगा है. पीएम ने कहा कि न जाने हम महिलाओं के प्रति कैसे-कैसे शब्दों का उपयोग करते है. वीडियो में देखें पीएम मोदी ने कैसे महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने की बात कही।

भाषण की शुरूआत में पीएम मोदी ने आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को शुभकामनाएं व बधाई दी। उन्होंने कहा सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वालों के द्वारा विश्‍व के हर कोने में यह हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है। मैं विश्‍वभर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्‍सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज का यह दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्‍य पड़ाव, एक नई राह, एक नये संकल्‍प और नये सामर्थ्‍य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी के जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता है। हिन्‍दुस्‍तान का कोई कोना ऐसा नहीं था, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहूति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरूष को, हर त्‍यागी को, हर बलिदानी को नमन करने का अवसर है। उनका ऋण स्‍वीकार करने का अवसर है और उनका स्‍मरण करते हुए उनके सपनों को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने का संकल्‍प लेने का भी अवसर है। हम सभी देशवासी कृतज्ञ है, पूज्‍य बापू के, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के, बाबा साहेब अम्‍बेडकर के, वीर सावरकर के, जिन्‍होंने कर्तव्‍य पथ पर जीवन को खपा दिया। कर्तव्‍य पथ ही उनका जीवन पथ रहा। यह देश कृतज्ञ है, मंगल पांडे, तात्‍या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी। यह राष्‍ट्र कृतज्ञ है, उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्‍मीबाई हो, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्‍मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार, भारत की नारी शक्ति क्‍या होती है।

भारत की नारी शक्ति का संकल्‍प क्‍या होता है। भारत की नारी त्‍याग और बलिदान की क्‍या पराकाष्‍ठा कर सकती है, वैसी अनगिनत वीरांगनाओं का स्‍मरण करते हुए हर हिन्‍दुस्‍तानी गर्व से भर जाता है। आजादी का जंग भी लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल, श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्‍त्री, दीनदयाल उपाध्‍याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनाबाभावे, नाना जी देशमुख, सुब्रह्मण्‍यमभारती, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।

हम आजादी की जंग की चर्चा करते हैं तो हम उन जंगलों में जीने वाले हमारे आदिवासी समाज का भी गौरव करना हम नहीं भूल सकते हैं। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरू, अनगिनत नाम हैं जिन्‍होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर के दूर-सदूर जंगलों में भी…. मेरे आदिवासी भाई-बहनों, मेरी माताओं, मेरे युवकों में मातृभूमि के लिए जीने-मरने के लिए प्रेरणा जगाई। ये देश का सौभाग्‍य रहा है कि आजादी की जंग के कई रूप रहे हैं और उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरू हो, स्‍वामी विवेकानंद हो, महर्षि अरविंदो हो, गुरुदेव रविन्‍द्र नाथ टैगोर हो, ऐसे अनेक महापुरुष हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, हर गांव में भारत की चेतना को जगाते रहे। भारत को चेतनमन बनाते रहे।

अमृत महोत्‍सव के दौरान देश ने…. पूरे एक साल से हम देख रहे हैं। 2021 में दांढी यात्रा से प्रारंभ हुआ। स्‍मृति दिवस को संवरते हुए हिन्‍दुस्‍तान के हर जिले में, हर कोने में देशवासियों ने आजादी के अमृत महोत्‍सव के लक्ष्‍यावृद्धि कार्यक्रम किए। शायद इतिहास में इतना विशाल, व्‍यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्‍सव मनाया गया हो वो शायद ये पहली घटना हुई है और हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया जिनको किसी न किसी कारणवंश इतिहास में जगह ने मिली या उनको भूला दिया गया था। आज देश ने खोज-खोज करके हर कोने में ऐसे वीरों को, महापुरुषों को, त्‍यागियों को, बलिदानियों को सत्‍या‍वीरों को याद किया, नमन किया। अमृत महोत्‍सव के दरम्यिान इन सभी महापुरुषों को नमन करने अवसर रहा। कल 14 अगस्‍त को भारत ने विभाजन विभिषिका स्‍मृति दिवस भी बड़े भारी मन से हृदय के गहरे घावों को याद करते हुए उन कोटि-कोटि जनों ने बहुत कुछ सहन किया था, तिरंगे की शान के लिए सहन किया था। मातृभूमि की मिट्टी से मोहब्‍बत के कारण सहन किया था और धैर्य नहीं खोया था। भारत के प्रति प्रेम ने नई जिंदगी की शुरूआत करने का उनका संकल्‍प नमन करने योग्‍य है, प्रेरणा पाने योग्‍य है।

आज जब हम आजादी का अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं तो पिछले 75 साल में देश के लिए जीने मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्‍पों को पूरा करने वाले; चाहे सेना के जवान हों, पुलिस के कर्मी हों, शासन में बैठे हुए ब्‍यूरोक्रेट्स हों, जनप्रतिनिधि हों, स्‍थानीय स्‍वराज की संस्‍थाओं के शासक-प्रशासक रहे हों, राज्‍यों के शासक-प्रशासक रहे हों, केंद्र के शासक-प्रशासक रहे हों; 75 साल में इन सबके योगदान को भी आज स्‍मरण करने का अवसर है और देश के कोटि-कोटि नागरिकों को भी, जिन्‍होंने 75 साल में अनेक प्रकार की कठिनाइयों के बीच भी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने से जो हो सका वो करने का प्रयास किया है।

Comments are closed.